दिल से जो आवाज़ निकलती,वही कहता हूँ।
कोरे कागज़ पर स्याह रंग से,कुछ लिखता हूँ।
मैं हूँ एक छोटा सा दीपक,रवि नहीं हूँ
सच बताऊँ मैं कोई,कवि नहीं हूँ।।
जीवन के मकड़जाल में,उलझा रहता हूँ।
अनुभव के शब्दजाल,बुनता रहता हूँ।
मैं हूँ साधारण सा,बड़ी छबि नहीं हूँ।
सच बताऊँ मैं कोई,कवि नहीं हूँ।
जीवन की सच्चाई को,सहता रहता हूँ।
बस उसी तजुर्बे को सबसे,कहता रहता हूँ।
मैं हूँ छोटा सा बन्दा,नबीं नहीं हूँ।
सच बताऊँ मैं कोई,कवि नहीं हूँ।
जो भी लिखता हूँ एकदम,पुख्ता लिखता हूँ।
निर्भीक निडरता से हरदम,सच्चा लिखता हूँ।
आग उगलता शोला हूँ ,नमीं नहीं हूँ।
सच बताऊँ मैं कोई,कवि नहीं हूँ।
#उपद्रवी
शशांक दुबे
छिंदवाड़ा
लेखक परिचय : शशांक दुबे पेशे से सहायक अभियंता (प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना), छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश में पदस्थ है| साथ ही विगत वर्षों से कविता लेखन में भी सक्रिय है |
Good One….
बहुत खूब ज़नाब।
आप निसन्देह कवि है। बहुत ख़ूब।