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नई उमंगें और तरंगे, लेकर आई जनवरी ,
नहीं होगा कोई सिकवा, और न कोई गम /
प्यारी प्यारी यादो को, याद कराती ये फरवरी,
जितना चाहो प्यार करो तुम, इस महीने में लोगो //
इसके बाद आ रही लेकर, टेंशन बच्चो को,
जिसको कहते है हम, मार्च लोगो /
फिर आशा की किरण जगाने, आ जायेगा अप्रैल,
कितनी खुशियां , कितने गमो बांटेगा ये महीना //
मिलाने बिछुड़ने, का ये महीना,
जिसको हम सब कहते, है मई /
एक दूसरे को, दूर करता ,
जब आता है जून //
प्रेमियों का प्यारा जगाने, आ जाती है ये जुलाई /
लैला मजनू बन जाते है, अगस्त माह में हम सब /
और सितम वर्षता है, जल्दी आके सितम्बर /
कैसे कैसे जीते हम सब, इन 3 महीनो में लोगो //
तीज त्यौहार मनवाता आके ये है अक्टूबर,
मांगलिक कार्यो में भी, नहीं रहता ये पीछे /
नए नए सवालों का, जवाब लेकर आता ये नवम्बर,
माह दिसम्बर की तो देखो, बात ही निराली है,
क्योकि पहले से ही कर लेते है, इसकी तैयारी हम //
१२ महीनो का ये राज, सीख गए हम सब ,
इन्ही के अंदर जीवन जीना, मिलकर हम सब को /
मिलता रहेगा स्नेह प्यार, हम सब जान को ,
जीना तो पड़ेगा, इन्ही महीनो में हम सब को //
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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