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हे मां,तेरी है शान निराली,
आभा अद्भुत चमकत न्यारी।
तेरे सारे पेड़ ये झूमें,
हवा के शीतल झोंकों से
मन भी कंपित-सा होकर
भरता पंछी बन उडारी।
हे मां,तेरी है शान निराली,
आभा अद्भुत चमकत न्यारी।!
स्पर्श अदृश्य कोमल सुगंधमय,
हवा में सारंगी के तार की लय
झूम जाना चाहता हूं खुद,
बातें भूलकर मैं सारी॥
हे मां,तेरी है शान निराली
आभा अद्भुत चमकत न्यारी।
नैनों में एक दर्पण जैसे,
हरियाली को खुद में समेटे
फूलों की सुगंध सांसों में भर,
झूम ये जाती है सारी॥
हे मां,तेरी है शान निराली।
आभा अद्भुत चमकत न्यारी॥
#नवल पाल
परिचय : नवल पाल की शिक्षा प्रभाकर सहित एम.ए.,बी.एड.है। आप हिन्दी,अंग्रेजी,उर्दू भाषा का ज्ञान रखते हैं। हरियाणा राज्य के जिला झज्जर में आप बसे हुए हैं। श्री पाल की प्रकाशित पुस्तकों में मुख्य रुप से यादें (काव्य संग्रह),उजला सवेरा (काव्य संग्रह),नारी की व्यथा (काव्य संग्रह),कुमुदिनी और वतन की ओर वापसी (दोनों कहानी संग्रह)आदि है। साथ ही ऑनलाईन पुस्तकें (हिन्दी का छायावादी युगीन काव्य,गौतम की कथा आदि)भी प्रक्रिया में हैं। कई भारतीय समाचार पत्रों के साथ ही विदेशी पत्रिकाओं में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। सम्मान व पुरस्कार के रुप में प्रज्ञा साहित्य मंच( रोहतक),हिन्दी अकादमी(दिल्ली) तथा अन्य मंचों द्वारा भी आप सम्मानित हुए हैं।
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