सुन्दरता

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harish soni
थोड़ी शरमाती है,थोड़ी इतराती है…,
फिर चोरी चुपके से ख्वाबों में आती हैl 
दीदार हुआ जबसे उन जालिम नजरों का…,
वो चैन से सोती है,मुझे नींद न आती है।
 
कमर को छूती है जब,लट उसकी काली…,
नागिन डर के मारे घूंघट में छुपती है।
नवयौवना की यारों हर बात निराली है…,
कब मन में बसती है,कब मन में आती है।
 
लाज का पल्लू भी सीने से सरकता है…,
बेखबर हो जब मेरे आग़ोश में आती है।
कभी दरिया तूफानी चढ़ता है उतरता है…,
कभी प्रेम की बरखा है,शीतल कर जाती है।
 
साड़ी का पल्लू भी झीना-झीना उसका…,
जब कनखी से देखे मेरी सुध-बुध खोती है।
नाम रेत पर जब मैं उसका लिखता हूॅं…,
लहरें भी जलती है,हर बार मिटाती है।
                                                                   #डॉ. हरीश ‘पथिक’
परिचय : मध्यप्रदेश के डॉ.हरीष कुमार सोनी पेशे से अध्यापक हैं,और साहित्यिक नाम ‘पथिक’ लगाते हैंl आप सीहोर रोड की कालापीपल मंडी(जिला शाजापुर,म.प्र.) में रहते हैंlरूचि पढ़ाई,कविता और कहानी सहित कभी-कभी मंचों पर कविता पाठ में भी हैl  कई दैनिक अखबारों के साथ अन्य पत्रिकाओं में भी कविता एवं लेख प्रकाशित होते रहते हैं। कुछ शोध-पत्र भी प्रकाशित हुए हैं। आपकी पीएच.डी. का विषय-हिन्दी एवं शीर्षक-`अज्ञेय की कहानियॉं:संवेदना और शिल्प` थाl   

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7 thoughts on “सुन्दरता

  1. परी के जैसी सुन्दरता है
    और बुलबुल के जैसी चंचलता है
    कहने को तो पुरा जहाँ कम है
    हम तो सिर्फ़ इतना कहेंगे की
    वो सबसे प्यारी है
    वो सबसे प्यारी है

  2. परी के जैसी सुन्दरता है
    और बुलबुल के जैसी चंचलता है
    कहने को तो पुरा जहाँ कम है
    हम तो सिर्फ़ इतना कहेंगे की
    वो सबसे प्यारी है
    वो सबसे प्यारी है

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।