‘यशगान’ कवि सम्मेलन में सुनाई देशभक्ति की कविताएं
नरेंद्र अटल को दिया वर्ष 2024 का अनुज सम्मान
गौतमपुरा। कवि शब्द की व्युत्पत्ति शुक्राचार्य के एक नाम से हुई है और कवि साधारण देह के असाधारण व्यक्तित्व के धनी होते है। आज कविता का स्वरूप बदला है पर यह आज भी लोगों को जोड़ने का काम करती है। यह बात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री डॉ. भगवती लाल राजपुरोहित ने कही।
साहित्यिक संस्था मंथन द्वारा प्रतिवर्षानुसार नगर में ‘यशगान विराट कवि सम्मेलन एवं स्वर्गीय ठाकुर चंद्रसिंह जी राव अनुज सम्मान समारोह का आयोजन स्वतंत्रता दिवस की संध्या पर किया गया जिसमें महेश्वर निवासी राष्ट्रीय कवि नरेंद्र अटल को अनुज सम्मान से सम्मानित किया गया।
साथ ही प्रदेश के युवा कवियों द्वारा काव्य पाठ कर उन वीरों को श्रद्धांजलि दी गई जिन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर भारत देश को अंग्रेजों से आजाद करवाया था।
कार्यक्रम का संचालन रुद्रांश राव में व आभार आशीष राव ने माना।
कवि सम्मेलन में लव कुमार यादव इंदौर, सुमित सिंह विदिशा, अमन जादौन शाजापुर, नीतेश व्यास भोपाल, समर्थ भावसार उज्जैन, लोकेश निर्भय बड़नगर , रिया मोरे इंदौर, प्रियांशी पाटीदार शुजालपुर ने काव्य पाठ किया एवं गौतमपुरा नगर के कवि गोपाल गर्वित ने संचालन किया।
विशेष रूप से मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’, संस्था मंथन के संयोजक पंकज प्रजापत एवं संस्था के सदस्य आदित्य प्रजापत , देवेन्द्र शर्मा, शुभम स्वराज एवं नगर के प्रबुद्ध श्रोतागण उपस्थित रहे।