#डाॅ. दशरथ मसानिया
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छोटे-से धार्मिक विवाद में साम्प्रदायिक दंगा आग की तरह पूरे शहर में फैल गया। मारपीट,लूटपाट,गाली-गलौच,चीख-पु कार,पत्थरबाजी,खूनखराबे से शांत गलियाँ हाहाकार करने लगी। भीड़भाड़ की करुण पुकार और बेरहमियों के अत्याचार की गूँज काॅलेज से घर-घर लौटती हुई लड़कियों ने सुनी,यह विकराल दृश्य देखकर वे डर से काँपने लगी। चार आतताईयों के हाथ में लाठियां और तलवार देख मालती ने सभी संगिनियों को पत्थर उठाने का संकेत किया ।
युवतियों का साहस देखते ही दंगाइयों ने हथियार फेंक दिए। तब मालती ने उनसे कहा कि-‘तुम्हारी माँ,बहिन से पूछकर आओ कि दंगों से नारी पर क्या बीतती है?’
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