यही तो इश्क है

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दुनिया में उसको छोड़ ना परवाह किसी की
आ जाये बिना बुलाये कभी याद किसी की
तस्वीर गर जो आंखों में बस जाय किसी की
कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है।
दीदार उनका करने को जो दिल रहे बेताब
उनके बगैर दुनिया में सब कुछ लगे खराब
मिलते ही खुद बखुद अगर कह जाते है आदाब
कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है।
नजरों से मिल नजरें निगाहें चार हो जाये
समझाना मन को की कहीं ना प्यार हो जाये
दिल भी हमेशा चाहे कि दीदार हो जाये
कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है।
दुनिया की नजर में नजर अन्दाज कर देना
मौका मिले महबूब को जी भर के देखना
नजरों के रास्ते किसी के दिल में उतरना
कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है।
पेंसिल से कागजों पे नाम लिखना मिटाना
खुद में ही मस्त रहना किसी को ना बताना
बिस्तर पे तकिया पकड़े हुए नींद ना आना
कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है।
दिल और दिमाग में हो जैसे छा गया कोई
ऐसा लगे कि दिल को जैसे भा गया कोई
जो भी गुरूर था वो जैसे खा गया कोई
कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है।
दिल बात करना चाहे किसी से जो देर तक
ढूंढे नजर किसी को अगर दूर दूर तक
रस्ता पहुंचने का अगर ढूंढे हुजूर तक
कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है।
संदेश देख फोन पे मुस्कान आ जाना
देखें जो आनलाइन दिल में जान आ जाना
रिप्लाइ करते करते उनका ख्वाब आ जाना
‘एहसास’ हो गया है कि यही तो इश्क है
कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है।

#अजय एहसास
अम्बेडकर नगर (उ०प्र०)

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इंदु भूषण बाली Post Views: 442

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।