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इन्दौर। अज्ञेय के चौथा सप्तक के कवि, हिन्दी गौरव व मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक राजकुमार कुम्भज का बावनवां कविता संग्रह ‘बारिश में झरते हैं शब्द’ आ चुका है।
हिन्दी में नई कविता आन्दोलन के प्रखर समर्थक राजकुमार कुम्भज के अब तक बावन कविता संग्रह आ चुके हैं।
श्री कुम्भज कई पुरस्कारों एवं सम्मान से सम्मानित हैं। इनकी कविताओं में नए बिम्ब और सामयिक प्रतीकों की सुलभता रहती है।
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