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वफ़ा की राह को देखा नहीं है।
मुहब्बत को अभी समझा नहीं है॥
किसी के प्यार की खातिर अभी तक।
मिरा जीवन कुंवारा-सा नहीं है॥
किनारों पर ही रहता है हमेशा।
तूने नजरों पर उतारा नहीं है॥
मिरे सब ख्वाब मां के चरण में है।
तूने मां को अभी पाया नहीं है॥
अभी भी मां मिरी रोज कहती है।
मगर यह ‘राज’ बहू लाया नहीं है॥
#कृष्ण कुमार सैनी ‘राज’
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