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शत्रु के लिए तलवार थी
प्रजा के लिए पतवार थी ।
ममता, वात्सल्य की मूर्ति
ऐसी रानी दुर्गावती थी ।।
वह गढ़मंडल की रानी थी
बहादुरी की वह निशानी थी।
सशक्त नारी के प्रतिरुप में
वह प्रजा की कल्याणी थी ।।
बुंदेलखंड जग जानी थी
जहाँ दुर्गावती मर्दानी थी।
हाथों में दो – दो तलवारे ले
रण में बनी वो भवानी थी ।।
जहाँ – जहाँ रानी जाती थी
सूर्य- सी चमक दिखाती थी ।
सैनिक वेश धर रानी, हाथी
पर चढ़ शौर्य बल दिखाती थी ।।
गोपाल कौशल
नागदा (मध्यप्रदेश)
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