अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष

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आज 21 जून विश्व योग दिवस सारा संसार खुद में बहुत ही गौरवान्वित महसूस करके मनाने लगा है क्योंकि आज के दौर में जहां उसका महत्व एवं उद्देश्य बहुत ही अच्छे से लोग समझने लगे हैं। विशेष रुप से आपदा के इस कोरोना काल में जहां लाखों जिंदगियां अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए और उनके अपने चुपचाप बस उनको श्रद्धांजलि ही देते रह गए। ऐसे दु:ख एवं संताप के दौर में योग ने ना केवल हमें शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान किया है बल्कि भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक एवं आध्यात्मिक रूप से भी मजबूत किया है।
योग (संस्कृत शब्द योग:)एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का या योग करने का काम होता है ! यह प्रक्रिया जैन धर्म ,बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म से भी संबंधित है। योग शब्द बौद्ध पंथ के साथ-साथ भारत के अतिरिक्त चीन ,जापान, तिब्बत ,दक्षिण पूर्व एशिया एवं श्रीलंका में भी फैल गया ।वर्तमान में सारे सभ्य समाज के लोग इससे परिचित हैं। इस को आमजन तक पहुंचाने का श्रेय बीकेएस अयंगरजी , शिवानंद जी और रामदेव जी के साथ साथ कई ज्ञात- अज्ञात योगाचार्य को भी जाता है जिन्होंने इसे विश्व विख्यात बनाया।
सामान्यतः लोगों के मन में यही धारणा होती है कि यह व्यक्ति को स्वस्थ रखने का तरीका है लेकिन योग वास्तव में जीवन जीने की कला है ,साधना है, विज्ञान है ।इसकी साधना एवं सिद्धांतों में ज्ञान एवं तपस्या का महत्व दिया गया है ।तभी तो वेदों और पुराणों में भी योग की चर्चा की गई है ।
यह सिद्ध हो चुका है कि प्राचीन काल से ही यह बहुत विशेष समझी जाती रही हैं हालांकि कुछ वर्षों के लिए यह लोगों की जीवनशैली से दूर हो गया था लेकिन अब फिर से यह अब ना केवल अपनी ही उत्पत्ति के मूल स्थान अर्थात भारत में बल्कि विदेशों में भी लोगों की जीवन शैली का हिस्सा बनता जा रहा है क्योंकि आज मानव जीवन में कितनी ही जटिलताएं और उलझने आ चुकी हैं। उसका जीवन बहुत ही अधिक तनाव युक्त हो चला है। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि हमारा हर पल प्रसन्नता का प्रतीक बने और जीवन में पीड़ा का कोई भी अंश ना रहे। ऐसे में योग सबसे अच्छा उपचार बनकर हमारा मार्गदर्शन करता है और हमें स्वस्थ बनाता है ।

योग और अध्यात्म

प्रकृति की गोद में करें ध्यान और योग
प्राणायाम से नष्ट हो जीवन के सब रोग
जीवन के सब रोग मिटे आनंद मिलेगा
सकारात्मक ऊर्जा हो तो हृदय खिलेगा
हृदय खेलेगा संग मन भी खेलेगा
महंगाई के जमाने में कुछ जेब भी खिलेगा।
खिलेगी बगिया परिवार और देश की
अनुलोम, विलोम, कपालभाति
शीर्षासन, वज्रासन, भुजंगासन आदि से
घर-घर होगी चर्चा
फिर से योग और अध्यात्म की ।
मिलेगी आजादी डायबिटीज, रक्तचाप,
अस्थमा ,हृदय की
ना जाने कितनी बीमारियों से
और सुधरेगी जीवन शैली
आएगी मजबूती मांसपेशियों -हड्डियों में
उधारी पर चल रही देश की
अर्थव्यवस्था का बचेगा कुछ पैसा भी
बनेगा निरोगी भारत फिर से
वही सोने की चिड़िया भी ।
मुस्कुराएगा आज, कल और परसों भी
जब योग और अध्यात्म की धारा
फिर से बहेगी देश-दुनिया में
फिर 21 जून विश्व योग दिवस ना मना कर
सारे बरस हम योग-अध्यात्म को जीने लगेंगे ।
योग दिवस के शुभकामनाओं के साथ
स्मिता जैन, छतरपुर

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।