नवल छंद विज्ञात सवैया और कोविद सवैया का आविष्कार

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बहुत ही हर्ष का विषय है कलम की सुगंध छंदशाला मंच पर कलम की सुगंध के संस्थापक गुरूदेव संजय कौशिक विज्ञात के द्वारा विज्ञात सवैया और छंदशाला परिवार से परमजीत सिंह कोविद द्वारा कोविद सवैया नवल छंद निर्माण किया गया जो उनके स्व नाम से जाना जाएगा ।
आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष अर्णव कलश एसोसिएशन महासचिव अनिता भारद्वाज अर्णव, साहित्यकार साखी गोपाल पंडा,
मंच संचालिका अनिता मंदिलवार सपना तथा समीक्षक बाबूलाल शर्मा विज्ञ, इंद्राणी साहू साँची और आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे मंच पर विराजमान पंचपरमेश्वर की उपस्थिति ने मात्र सात घंटे चले इस सृजन कार्यक्रम में पचास से अधिक आये सवैया के छंदों के शिल्प की सधी हुई लय देख कर इन्हें छंदों में सम्मिलित करने की अनुमति प्रदान की ।
सर्वप्रथम मंच संचालिका अनिता मंदिलवार सपना ने प्रस्तावना प्रस्तुत किया मंच पर विधिवत पंच परमेश्वर विराजमान किये गए और पटल पर उपस्थित छंद मर्मज्ञों ने सहमति प्रदान किया ।
आदरणीय साखी गोपाल पंडा जी की अध्यक्षता में, आज आ. बाबू लाल शर्मा बौहरा विज्ञ, आदरणीया इन्द्राणी साहू साँची जी, नीतू ठाकुर विदुषी की विवेचना,समीक्षा व सहमति के आधार पर एवं पटल के सुधि छंदकारों बाबूलाल शर्मा विज्ञ , नीतू ठाकुर विदुषी
इन्द्राणी साहू साँची,आशा शुक्ला, मधु सिंघी,
अनुराधा चौहान सुधी,राधा तिवारी राधेगोपाल,
गीता विश्वकर्मा नेह,सौरभ प्रभात, कंचन वर्मा विज्ञांशी, कमल किशोर कमल,बिंदु प्रसाद रिद्धिमा, गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न, धनेश्वरी सोनी गुल, डा० एन.के.सेठी,अर्चना पाठक निरंतर
सुरेश कुमार देवांगन,अनिता मंदिलवार सपना
पुष्पा प्रांजलि ,भावना शिवहरे,अजीत कुमार कुंभकार,अभिलाषा चौहान सुज्ञ,पूजा शर्मा सुगन्ध,श्वेता विद्यांशी,परमजीत सिंह कोविद
की इन छंद पर रचनाओं के आधार पर आज हिन्दी साहित्य हेतु दो नवीन छंद “विज्ञात सवैया” और “कोविद सवैया” को सहर्ष मान्यता प्रदान की गयी।

कलम की सुगंध छंदशाला परिवार के वरिष्ठ साहित्यकार, समीक्षक और मंच संचालिका ने प्रथम सृजक गौरव सम्मान मंच पर ससम्मान प्रेषित करते हुए कहा कि मंच पर सभी सक्रिय होकर उत्तम लेखन कर रहे है । साथ ही छंद निर्माण कर्ता संजय कौशिक विज्ञात और परमजीत सिंह कोविद को बधाई दिया ।
पिछले वर्ष गुरूदेव संजय कौशिक विज्ञात जी ने पहले आठ छंद और अभी एक महीने पहले एक साथ एक सौ छ: छंद पटल के रचनाकारों के उपनाम से आविष्कार किये जो अनुपम उदाहरण है हम दूसरों की खुशी में भी खुश हो सकते हैं । ऐसी भावना इस पटल पर देखी जाती है और फिर से निःसन्देह सभी सृजकों में अपनी लेखनी के प्रति हर्ष और आनंद का वातावरण बनाते हुए प्रोत्साहित कर आत्म विश्वास चरम पर देखा गया ।
विज्ञात और कोविद ने मंच को आभार कहा
अंत में सभी का आत्मीय आभार प्रेषित करते हुए मंच संचालिका अनिता मंदिलवार सपना जी ने गुरूदेव *विज्ञात * और कोविद जी को हार्दिक शुभकामनाएँ प्रदान की ।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।