0
0
Read Time35 Second
जिंदगीभर धन कमाते रहे
तिजोरियों में सजाते रहे
माता पिता को भूले रहे
रिश्तेनातो से किनारे रहे
ज्यों ज्यो धन बढ़ता रहा
अपनत्व रिश्ता घटता रहा
विकारो में ही फंसे रहे
सद्कर्मो से भी दूर रहे
आया समय जब जाने का
हाथ उनके खाली ही रहे
काश! सद्कर्म किया होता
परलोक तो संवर जाता
आत्मा भी बोझिल न होती
परमात्मा सहज मिल जाता।
#श्रीगोपाल नारसन
Post Views:
522