दिनांक 21 अप्रैल 2021 को रामनवमी के पावन अवसर पर दक्षिणभारत में कई दशकों से हिन्दी की अलख जगा रहे डा. सुनील कुमार परीट द्वारा संपादित हे मेरे राम काव्य संकलन का लोकार्पण व सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ।इस आयोजन की अध्यक्षता करते हुए स्वामी आदित्य पुरी महाराज जी ने कहा आज के शुभ अवसर पर यह पुनीत कार्य हुआ है।निश्चय ही प्रभु राम की कृपा है। जिसने राम को भज दिया।उसके जीवन में सुख दुख नहीं होता।सभी इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें।सभी हिन्दुओं के हृदय में यह पुस्तक अवश्य उतरे।मंच पर मुख्यातिथि के रूप में उपस्थिति गुरूजी गौतम ऋषि जी ने कहा यह पुस्तक नहीं अपने आप में एक ग्रन्थ है।प्रभु श्रीराम किसी एक के नहीं सबके हैं सबमें हैं।हम सब भाग्यशाली हैं कि आज राम का गुणगान गा रहे हैं।उनपर पुस्तक आई है।आज युवा पीढ़ी को अपना जीवन सार्थक करने के लिए रामायण पढ़ने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का आरम्भ प्रार्थना तुही राम है तूही रहीम है से केरल की डा.शैलजा टी.एच ने किया।प्रार्थना के बाद सरस्वती वंदना या कुन्देन्दु तुषार हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता दिल्ली से नेहा जग्गी ने प्रस्तुतकर वातावरण संगीतमय कर दिया।इसके बाद इस आयोजन के लिए भगीरथ सा प्रयत्न करने वाले डा0 सुनील कुमार परीट ने आमन्त्रित सभी अतिथियों का स्वागत किया।स्वागत के बाद कुशल संचालनकर्ता डा. वसुधा कामत ने मुख्यवक्ता राष्ट्रीय कविसंगम पश्चिमी उत्तरप्रदेश के श्री अशोक गोयल जी को आमन्त्रित किया।उनका कहना था कि भारत में राम ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं या कहूं विश्व में है।कण कण में रचा बसा है।भविष्य में डा. सुनील इससे भी बड़े आयोजन करेंगे।
दूसरे मुख्यवक्ता पं. बालकृष्ण पचौरी ने कहा कि डा. सुनील जी के इस संकलन ने त्रेता युग ला दिया है।125 राम भक्त आ बैठे हैं।वातावरण राममय हो गया है।इसके बाद संकलन पर प्रतिक्रया के लिए डा. वसुधा कामत जी ने प्रो. मनीषा नाडगौडा बेलगाम कर्नाटक को आमंत्रित किया।उनका कहना था कि सुनील जी ने रामसेतु सा काम किया है।मेरी राम पर श्रृद्धा बचपन से है।अब पचपन की होने जा रही हूं।पूरी रामायण की छवि यहां पर है।आज रामनवमी का अवसर भी है।
इसके बाद प्रतिक्रिया जताते हुए कोलकाता से दिनेशचन्द्र ने आज का दिन साहित्य के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा ऐसा बताया।इसमें सम्मिलित होने वाले सभी रचनाकार बड़े भाग्यशाली हैं।इसका श्रेय डा. सुनील को जाता है।संकलन पर कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाने सा है।इसके बाद छत्तीसगढ़ से आरती उपाध्याय बोली कि आज कोरोना की भयावह स्थिति में जैसे लक्ष्मण जी के लिए बूटी आयी थी वैसे ही कोरोना के समाधान लिए कोई हनुमान संजीवनी बूटी ले आएं।
श्री नंद सारस्वतजी स्वदेशी ने कहा कि यह संकलन एक सौ पच्चीस का नहीं एक सौ पच्चीस करोड़ का आहवाहन है निश्चय ही महाकाव्य बनेगा।अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हरीराम भार्गव ने सवाल उठाया कि पंजाब में विशेषकर गुरूमुखी में रामायण पर काफी काम हुआ है पर उससे अभी बहुत से लोग वंचित हैं।पंजाब आने वाले एक बार आनन्दपुर गुरुद्वारा अवश्य आए।वहां गुरुमुखी में लिखी गई व रखी रामायणें देखें।
इसके अलावा धामपुर से डा. अनिल शर्मा जौनपुर से संजय पाण्डेय पटना से संजय कुमार अम्बष्ट व इन्दौर से डा. आशाजाकड़ ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।आनलाइन प्लेटफार्म लगभग जुड़े हुए सभी लोग अपनी टिप्पणी कर ही रहे थे।संकलन में कुल एक सौ पच्चीस रचनाकारों में देश के पन्द्रह राज्यों एक केन्द्रशासित प्रदेश चण्डीगढ़ व पड़ोसी देश नेपाल से एक की प्रभु राम पर रचना संकलित है।आयोजन प्रभु नगरी अयोध्या के रंग ढंग रूप की तरह रामनवमी पर वातावरण पूर्णतया राममय हो गया।कहीं न कहीं हनुमान जी साक्षी बने।उनके आराध्य के लिए महत्वपूर्ण घटना घटी।
सम्पूर्ण आयोजन का डा0 वसुधा कामत सचिव ज्ञानोदय ने कुशल व मनमोहक संचालन किया।हे मेरे राम काव्य संकलन में संकलित सभी एक सौ पच्चीस रचनाकारों को ज्ञानोदय साहित्य संस्था कर्नाटक द्वारा राम काव्य सृजन सम्मान 2021 से आकर्षक प्रभु राम के शौर्यचित्र युक्त सम्मानपत्र देकर सम्मानित किया गया।
लगभग तीन घण्टे तक चले आयोजन के लिए धन्यवाद गुजरात से श्री धर्मेश जोशी ने व्यक्त किया।पंडित राकेश मालवीय जी प्रयागराज के द्वारा समापन राष्ट्रगान से किया गया।
शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर