यूँ हीं नहीं कोई राजनीति का चाणक्य बन जाता

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बदलते हुए बंगाल की आहट देती जनसैलाब बदलाव चाहता है। हलांकि राजनीतिक गलियारे खूब चकाचौंध है । जबकि भूख, गरीबी ,वेरोजगारी व महगाई चरम पर है। नंदीग्राम का रोड शो काफी रोचक रहा है तृणमूल और बीजेपी की सीधी लड़ाई प्रायः सभी जगहो पर है। एक तरफ बीजेपीअपने दृढ़ विश्वास से लवरेज होकर वेदाग दमदार काम का वखान अपने शब्दों में करती है।दूसरी तरफ अपने किये गये कार्यो का व्यौरा देकर बीजेपी को कोसा जाता है लेकिन विश्वास की कमी साफ देखी जा सकती है।

कौन भूल सकता है बंगाल का वह दोहरा चरित्र जहा हाइकोर्ट को मूर्ति पूजा के लिए आदेश देना पडता है। यहाँ संसाधनो की कमी नहीं फिर भी गरीबी चरम पर है! बंगाल को कभी भी रफ्तार नही मिला ।

आज हर तरफ बौखलाहट है। वह इसलिए भी कि कही यह राज्य भी एक नये युग और और विकास की पटरी पर तीव्रगति से न बढ़ जाय।

यह राज्य पर्यटन में भी अपनी पहचान बना चुका है।यूँ ही नही कोई शाह बन जाता जनता के साथ तालमेल और सुख सुविधाओं से जन जन तक पहुँचाना कहा है सब के बस में! यही एक विकल्प है जो एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक लेकर आएगी ।

सुशासन और वेदाग छवि के धनी के आगे अब सारे विकल्प वौने सावित हो रहे है लंबे राजनीतिक अनुभव और कार्यकुशलता पुनः उनकी ओर आकर्षित हो रही है ।विरोधी खेमा में उनका तोड़ न होना सारे विकल्पों पर भारी है।

उन्होने उन तमाम मुद्दों को रखा जो उनके कार्यकाल में बंगाल को एक नई दिशा देगी।न्याय के साथ विकास के अन्तर्गत सुशासन की एक अलग छवि जनमानस पटल पर रखने में सफल रहे हैं।आज तक उनकी बोलने की छवि भी एक सटीक वक्ता के तौर पर मेच्योर रही है।

पर्यावरण विकास,कुरीतियों के खिलाफ उनकी सार्थक पहल अब जमीं पर दिखने लगा है।

बंगाल कृषि उत्पादन के लिए जानी जाती है। किसानो की हालत आज समृद्ध होती दिख रही। यहाँ के किसान फल सब्जी मक्का गेहूँ और धान के साथ मत्स्य दूध का उत्पादन करते हैं जो देश के सभी हिस्सो में अब पहुँचने लगी है।अभी भी काफी कार्य इस दिशा में करने होगे जिसका जिक्र करना लाजिमी है ।कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था के साथ वृहत बाजार और फसल बीमा के क्षेत्र में काफी सुधार की आवश्यकता है ।

उद्योग जगत के लिए भी निवेशको के लिए उचित माहौल तैयार करना यहाँ एक चुनौती से भरा रहा है जिसका प्रयास सुशासन के जरिये ही हो सकता है सरकार इस दिशा में भी आगे बढ़ेगी रोड पुलिया पुल बडे शहरो मे बडे बडे फ्लाईओवर ब्रीज आज इस बात की गवाही बने है कि सरकार अपनी तय सीमा के अन्तर्गत कार्य करने में विफल रही है।साधन सीमित हो और आसमान फटा हो तो एक बार में दूरूस्त होना संभव नही है। इसके लिए लगातार और सभी सरकारो को मिलकर काम करना होगा। बंगाल की बुनियादी ढ़ाँचा काफी सुदृढ है जिसे डबल इजन की सरकार द्वारा आसानी से पटरी पर लाया जा सकता है ।

शिक्षा के क्षेत्र में भी यहा औसत अच्छा है ।यह चिंता का विषय जरूर रहा है कि आज भी शिक्षा की हालत अच्छी नही मानी जाती।लेकिन सरकार के स्तर पर प्रयास किए गये हैं जब आप परीक्षा देते है तो एक बार में सफल हो जाये ये जरूरी नही इसलिए बार बार देते है सरकार भी प्रयास करती रही है देखना होगा कब तक सफलता हाथ लगती है।

भूमि विवाद भी यहा की एक अहम और झंझट पैदा करने वाली समस्या रही है जिसके निदान के लिए सरकार के स्तर पर समय समय पर भू हथबन्दी कानून में बदलाव होते रहे है यह प्रक्रिया आज भी जारी है लेकिन समाधान नही हुआ आज भी भूमि जस की तस है।

बंगाल की फिजाओं में चुनावी विगुल बज चुका है आने वाले दिनो में सभी पार्टीयां रैली में अपनी अपनी जगह तालाश रहे हैं। शायद इन दिनों सभी व्यस्त हैं सभी अपने अपने तर्क देंते हैं लेकिन एक छवि जो अपनी पहचान छोड जाते वह जन मानस को आने वाले समय में तय करने का अवसर जरूर देते रहेंगे कि इस राज्य का सिंहासन किसे सौंपा जाय । तर्क विर्तक के इस सभा में उन तमाम पहलुओ पर मतदाता अपने आप को कहाँ और किसके साथ खड़ा करते है यह आने वाला वक्त तय करेगा लेकिन जहाँ साफ छवि की बात होगी सुशासन की बात होगी बीजेपी सबसे पहले आएँगी।

                             आशुतोष
                           पटना बिहार

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।