आत्मा के सौंदर्य का शब्दरूप है काव्य, मानव होना भाग्य, कवि होना सौभाग्य……गोपालदास नीरज

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arpan jain
कचहरी में टंकण करते-करते कोई हिन्दी कविताओं की तरफ मुड़कर हिन्दी माँ का लाड़ला नीरज बनकर माया नगरी बम्बई में हिन्दी कविता को सर्वोच्च सम्मान दिलवाता है, और प्रेम के तरानों के साथ शोखियों में घोलता हो प्रेम गीतों का राग उस अल्हड फ़क़ीर और उच्च कोटि के दर्शन का अध्ययन हिन्दी के मंचों से बिखेरता हो, ऐसे दीवाने का नाम गोपालदास नीरज है। रजनीश से भगवान रजनीश की यात्रा का प्रत्यक्ष गवाह जिसने स्वयं रजनीश को आगाह किया था की समय खलीफाओं का नहीं है, जागो रजनीश, *‘एक समय आएगा जब आपको भगवन भी छोड़ना पडेगा, आचार्य भी और रजनीश भी… आत्मा के गौरीशंकर पर यात्रा करने जा रहे हो आप, उसपर इतना बोझ लेकर?’*
 जिसने खुद अपनी कविता में स्वीकारा है कि हम तो मस्त फ़क़ीर, हमारा कोई नहीं ठिकाना  रे, जैसा अपना आना प्यारे वैसे अपना जाना रे’
गरीबी से लेकर फिल्म महल तक की यात्रा को केवल साक्षी भाव से साथ देख कर १९ जुलाई २०१८ को हमारे बीच से विदा ले गए , ऐसे गोपालदास नीरज जी सदा के लिए हिन्दी गीतों में अमर हो गए।
कविकुल के उस नक्षत्र के अवसान की ख़बरों ने स्तब्ध तो किया ही साथ में अंदर तक हिला कर रख दिया, क्योंकि विगत एक माह पहले ही किसी आयोजन में आने के निवेदन के लिए नीरज जी से बात हुई, किन्तु अस्वस्थ्यता के चलते उन्होंने आने से मना किया और हमने तय किया कि अलीगढ़ जा कर नीरज जी से मिल कर आते है, समय बीतता रहा और नीरज जी सशरीर हमसे विदा हो गए।
सदा के लिए छोड़ गए एक रिक्त स्थान,और वे कहते भी गए कि ‘मान और अपमान हमें दौर लगे पागलपन के….’
‘सबके पीछे रहकर भी, सबसे आगे रहे सदा…’ निश्चित तौर पर आप सदैव आगे ही रहोगे..
*अश्रुपूरित श्रद्धांजलि,*

#डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’

परिचय : डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ इन्दौर (म.प्र.) से खबर हलचल न्यूज के सम्पादक हैं, और पत्रकार होने के साथ-साथ शायर और स्तंभकार भी हैं। श्री जैन ने आंचलिक पत्रकारों पर ‘मेरे आंचलिक पत्रकार’ एवं साझा काव्य संग्रह ‘मातृभाषा एक युगमंच’ आदि पुस्तक भी लिखी है। अविचल ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा है। इन्होंने आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता का आधार आंचलिक पत्रकारिता को ही ज़्यादा लिखा है। यह मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बढ़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया है। बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग (कम्प्यूटर  साइंस) करने के बाद एमबीए और एम.जे.की डिग्री हासिल की एवं ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियों’ पर शोध किया है। कई पत्रकार संगठनों में राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारियों से नवाज़े जा चुके अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत के २१ राज्यों में अपनी टीम का संचालन कर रहे हैं। पत्रकारों के लिए बनाया गया भारत का पहला सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकीपीडिया (www.IndianReporters.com) भी जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।