नारी को अबला न समझना तुम
वह गगन मे वायुयान उड़ाती है।
कल्पना बन कर यही नारी,
अब अंतरिक्ष में पहुंच जाती हैं।।
विद्वता मे वह अब कम नहीं,
उच्च शिक्षा लेकर उच्च अंक पाती हैं।
बड़े बड़े स्कूल व कॉलिजो में भी
वह अब पुरुषों को भी पढ़ाती हैं।।
युद्ध क्षेत्र में भी वह बढ़ चढ़ कर,
वह रण कौशल अपने दिखाती हैं।
झांसी की रानी बनकर भी वह,
आधुनिक हथियार चलाती है।।
नारी घूघंट वाली नारी नहीं,
वह पुरुषों का मुकाबला करती हैं,
वह हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर,
पुरुषों से आगे वह रहती है।।
विधमान हैं वह हर पद पर,
कोई उच्च पद न उससे छूटा है।
राष्ट्रपति प्रधान मंत्री बन वह
पाटिल इंदिरा उदाहरण अनूठा है।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम