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जो समय के साथ नही चले
उनके छूट जाते है काज
जो सोचते वर्षो वर्ष की
सोचा पूरा नही होता आज
है सब यह ईश्वरीय लीला
हम तो है उसके खिलौना
जितनी चाबी भरी है उसने
उतना ही चलता यह खिलौना
जो चाहता वही कराता हमसे
वही संवारता कल और आज
आत्म स्वरूप में हम है बच्चे
परमात्म रूप में वह सरताज।
#श्रीगोपाल नारसन
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