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एक प्यारी सी मां मिली थी
देखते ही उसे मेरी बांछे खिली
लगा जैसे लौट आई हो मां
अपने एक नए से स्वरूप मे
वास्तव में मां तो मां ही होती है
फिर चाहे मेरी मां हो या उसकी
मां का कोई मजहब नही होता
मां की कोई जात भी नही होती
माँ का कोई रंग भी नही होता
बिल्कुल पानी के रंग तरह
औलाद जिस रंग मे चाहती है
मां उसी रंग मे ढल जाती है
सचमुच वह एक मां है सिर्फ मां
भगवान का वास्तविक रूप।
#श्रीगोपाल नारसन
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