कांटों भरी हैं जीवन की राहें,
आशाएं नजर ना आएं।
उलझन भरा है ये जीवन सारा,
मिले ना सुकून की बाहें ।
लेकर खंजर खड़े हैं अपने,
किस पर भरोसा जताएं।
उम्मीदें लगाएं बैठे हैं जिनसे,
वो ही हमें तड़पाएं।
मांगे कभी जो मदद किसी से,
वो राहों में कांटे बिछाएं।
अपना समझकर जो घाव दिखाएं,
वो घावों में नमक लगाएं।
सुख की घड़ी में साथ हैं सारे,
मिलकर मौज मनाएं।
वक्त बुरा जब जीवन में आए,
ना कोई साथ निभाए।
आओ खुद से संकल्प करें हम,
खुद ही अच्छे बन जाएं।
बनकर किसी के जीवन आशा,
जीने की आस जगाएं ।
अनजाने में भी ना हो पाप हमसे,
ना किसी को दर्द पहुंचाएं।
जाति धर्म के भेद मिटाकर कर,
सबको गले से लगाएं।
किस्मत के मारे,निर्धन बेचारे,
यदि हमसे आस लगाएं,
तन मन धन से उनकी मदद कर,
हम ढेरों दुआएं पाएं।
मानव हैं हम, मानवता को,
आभूषण अपना बनाएं।
बांट के सुख दुःख आपस में हम,
जीवन सुखमय बनाएं।
रचना –
सपना ( स० अ० )
प्रा० वि० उजीतीपुर
जनपद औरैया