केन्द्रीय विद्यालय संगठन ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ अभियान के अन्तर्गत काव्य, कला, गीत, संगीत इत्यादि से संबंधित विविध कार्यक्रमों को आयोजित कर एक राज्य को दूसरे राज्य की संस्कृति से जोड़ने की महती भूमिका निभा रहा है जिससे वतन में एकता एवं समरसता की सरिता प्रवाहित हो रही है।
केन्द्रीय विद्यालय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, उत्तर प्रदेश में 'अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति, परम्परा और इतिहास' विषय पर आधारित विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। मुख्य अतिथि सुनील चौरसिया 'सावन', पीजीटी हिन्दी, केन्द्रीय विद्यालय टेंगा वैली, अरुणाचल प्रदेश ने राजकीय पशु मिथुन पर प्रकाश डालते हुए मोनपा, अदीस, अपातानी, तगिनों , इदु मिशमी, निशि इत्यादि जनजातियों तथा उनके लोकप्रिय त्योहारों जैसे लोसार, सोलंगु, द्री, सी-दोन्याई , रेह और न्योकुम की विशेषताएं बतायीं। साहित्यकार सावन ने बताया कि हिमालय की मनमोहक वादियों में बसे अरुणाचल प्रदेश में पोंग, दामिंडा, वांचो ,तापु , बारडो, खांपटी और बुईया जैसे नृत्य प्रचलित हैं।
राजभाषा अंग्रेजी के साथ- साथ हिन्दी, असमिया , बांग्ला , नेपाली और तड्ंसा जैसी बोलियां बोली जाती हैं। तवांग, टैंगा, रूपा, बोमडिला, इटानगर, चिल्लीपांग, दिरांग, शेला, शेर गांव इत्यादि दर्शनीय स्थान हैं।
सुनील चौरसिया ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश 20 फरवरी 1987 को भारतीय संघ का 24 वां राज्य बना जिसका लिखित इतिहास उपलब्ध नहीं है। आपकी पुस्तक हाय री! कुमुदिनी में हिमाद्री के प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर चित्रण है। अंततोगत्वा कवि सावन ने स्वरचित कविता पहाड़ का पाठ किया जो प्रशंसनीय रहा।
प्राचार्य डॉ. दिवाकर सिंह ने भी सधन्यवाद अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति, परम्परा एवं रीति-रिवाजों पर प्रकाश डाला। उप प्राचार्याद्वय विनीता सिंह और सुधा श्रीवास्तव ने केंद्रीय विद्यालय संगठन नयी दिल्ली और क्षेत्रीय कार्यालय तिनसुकिया संभाग से संबंधित सुनील चौरसिया को बधाइयां देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। संचालक संजय ओझा और संयोजक कुश प्रताप सिंह के साथ हिंदी शिक्षक वकील सिंह यादव एवं सम्माननीय शिक्षकवृन्द तथा प्रतिभाशाली शिक्षार्थियों की सम्मानजनक उपस्थिति रही।