ऐ बहारों सजा दो चमन को,
मेरा महबूब आया हुआ है।
ऐ घटा तू बरस जरा जम के,
प्यार का नशा छाया हुआ है।
ऐ सितारों सजा दो महफ़िल,
मेरा मन आज बहका हुआ है।
ऐ बहारों सजा दो चमन को,
मेरा महबूब आया हुआ है।
ऐ गुलशन महक जा जरा तू,
मेरा अरमां मचला हुआ है।
ऐ हवा चल जरा होले होले,
मेरा आंचल सहमा हुआ है।
ऐ बहारों सजा दो चमन को,
मेरा महबूब आया हुआ है।
ऐ चन्दा जरा तू छिप जा,
मेरा महबूब शरमाया हुआ है।
ऐ धड़कन धड़क धीरे धीरे,
मेरा दिल आज खोया हुआ है।
ऐ बहारों सजा दो चमन को,
मेरा महबूब आया हुआ है।
ऐ हमदम जरा पास आओ,
मन का पंछी चहका हुआ है।
लगा ले मुझको गले मेरे प्रियतम,
मेरा तन आज दहका हुआ है।
ऐ बहारों सजा दो चमन को,
मेरा महबूब आया हुआ है।
रचना
सपना (स ० अ०)
जनपद औरैया