अन्तर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस

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बोझ ना समझो बुजुर्गो को तुम,
बुजुर्गों से ही है वजूद तुम्हारा।
बुजुर्ग ना होते तो तुम कैसे होते,
नामों निशान ना तुम्हारा होता।

रूखा सूखा खुद ही खा कर,
अच्छा भोजन तुम्हे खिलाया।
कितनी रातें खुद ना सोए,
लोरी गा कर तुम्हे सुलाया।

उंगली पकड़कर चलना सिखाकर,
अच्छे बुरे में भेद बताया।
संस्कार ,सद्गुण देकर हमको,
जिम्मेदार हमको बनाया।

यूं ना भूलो त्याग को उनको,
मत दुत्कारो उनको तुम।
फ़र्ज़ निभाया बुजुर्गों ने अपना,
अब अपना फ़र्ज़ निभा लो तुम।

सम्मान करोगे यदि तुम उनका,
लाख दुआएं पाओगे।
सच कहती हूं सुन लो प्यारे,
धरती पर ही जन्नत पाओगे ।

बुढ़ापा तो सबको आना ही है,
बुढ़ापे से कौन बच पाया है।
कुछ दिन की जवानी है ये प्यारे,
अन्तिम पड़ाव बुढ़ापा है।

बुढ़ापे में यदि खुश रहना चाहो,
बुजुर्गों से ना दूरी बनाओ।
घर के बुजुर्गों की सेवा करके,
अपने जीवन को सुखी बनाओ।

आओ हम सब शपथ उठाएं,
ना बुजुर्गों का अपमान करेंगे।
मरते दम तक तन मन धन से,
बुजुर्गों का सम्मान करेंगे।

रचना – सपना
जनपद औरैया

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।