0
0
Read Time33 Second
आरंभ जिस गली में,
कभी प्रेम का हुआ था..
अंकुर ह्रदय की भूमि पर,
जिस क्षण जहाँ बुआ था..
उसी गली में बाद बरसों,
उन्हीं से हम टकराए हैं…
उसी तरह मिलाकर नजर,
फिर से वो झूकाए हैं…
बस दौर ए प्यार में,
इतना सा फ़र्क आया है..
जिस कांधे कभी सर था हमारा..
उसी कांधे पे उसने आज
बच्चों का बैग उठाया है…
सचिन राणा “हीरो”
हरिद्वार (उत्तराखंड)
Post Views:
362