पृथ्वी से सीखो, धीरज रखना
सुख दुःख सारे हंसकर सहना।
अम्बर से सीखो ,सबको ढकना,
अपना पराया कभी ना करना।
नदियों से सीखो,हर पल चलना,
थक हार कर कभी ना रुकना।
पर्वत से सीखो,सिर उठा कर जीना,
दुष्टों के आगे कभी ना झुकना।
चींटी से सीखो ,मेहनत करना,
जीवन में अलास कभी ना करना।
फूलों से सीखो ,सदा मुस्कुराना,
खुद खुश रहना औरों को रखना।
सूर्य से सीखो,हर पल तपना ।
अपने धर्म से पीछे ना हटना।
चिड़िया से सीखो ,घर अपना बनाना।
किसी के भरोसे कभी मत रहना।
वृक्षों से सीखो तुम दान करना,
कुछ दे कर किसी को ना अभिमान करना।
बहारों से सीखो पतझड़ में डटना,
दुखों की घड़ी में निराश ना होना।
चन्दा से सीखो शीतल बनना,
अंधेरों में भी चम चम चमकना।
आए हैं गम तो आएंगी खुशियां,
रंग बदलती है हर पल दुनियां।
प्रभु ने दिया है ये जीवन हमको,
देना है सम्मान उसके वर को।
आए हो जग में तो कुछ करके जाना,
यूं ही जीवन ना अपना गंवाना ।
रचना –
सपना (औरैया)