वेद पुराणों उपनिषद, गीता में है सार।
सात शतक का छंद हैं,संस्कृत भाष् विचार।।१
कुरुक्षेत्र मैदान में,दिया कृष्ण उपदेश।
अर्जुन से संवाद कर,गीता का संदेश।।२
भगवत गीता में लखो, अष्टादश अध्याय।
अर्जुन विषाद योग में, पहले पढ़ हरषाय।।३
सांख्ययोग अरु कर्म को, दूजा तीजा जान।
ज्ञान कर्म सन्यास को, चौथे में पहिचान।।४
पंचम कर्म सन्यास है, आतम संयम योग।
सातम ज्ञान योग पढ़ो, अक्षर ब्रह्मा जोग।।५
राजविद्या राजगुहा,दशम विभूति योग।
विराट रूप दर्शन करें, एकादश में जाय।।६
द्वादश भक्ति योग ,है, छेत्र छेतग भाय।
चौदह गुणत्रय योग है,फिरपुरुषोत्तम आय।।७
देवासुर सम्यक कथा, श्रृद्धा तीन विभाग।
अंतिम मोक्ष सन्यास है, मानव अब तू जाग।।८
गीता जग कल्याण है, मानवता आधार।
कर्म प्रधान ही लक्ष्य बने, जीवन का है सार।।९
डॉ दशरथ मसानिया ,
आगर मालवा