समय की पुकार और देश की परिस्थितियों के कारण हमें समय पूर्व सेवानिवृत्त का विचार आ रहा था और ईश्वर शायद मेरी प्रार्थना सुन ली और मुझे इसका मौके मिल गया। अपने जीवन के 27 साल एक ही जगह निकाले मुझे संस्था से और उच्च अधिकारियों से बहुत सहयोग और सीखने को मिला जिसे अपनी मेहनत लगन के कारण में प्रबंधक के पद तक पहुंचा। पर कहते है कि हर समय और अधिकारीगण आपके सफर में एक से नही होती है।कुछ विपरीत भी होते है और एक दूसरे की समझ और सोच में भी अंतर होता है और उसका परिणाम कुछ अलग आता है और पूर्व की मेहनत लगन का फल कुछ दिनों के सफर में दे दिया जाता है और उसके दमन पर एक दाग लगा देते है और उसकी जिंदगी को तहास तहास कर देते है। साथ ही उन निककमो को बोलने का मौका मिल जाता है कि काम करके क्या पा लिया ? हमे गलत कहने वालो का क्या हाल हुआ हम तो बच गए और तुम….।आज जिंदगी ने हमे नई अध्याय पड़ा दिया और बहुत बड़ा सबक सिखा दिया। किसी एक जगह निष्ठावान बने रहना अच्छी बात नही है। यदि ऐसे लोगो के साथ काम करना है तो पहले समस्याएं खुद पैदा करो और चारो तरफ फैलाओ फिर दिखाने के लिए खुद हीरो बन जाओ।यदि ये तरीका अपनाया होता तो आज मेरी ये दशा नही होती। खैर ईश्वर यदि एक द्वार बंद करता है तो दूसरा द्वार आगे के लिए खोल देता है। परन्तु समय चक्र एक सा नही चलता और जिन्होंने दुसरो को गद्दा खोदे थे वही गद्दा आगे उन भी इन्जार कर रहा होता है। स्वर्ग नरक सब कुछ यही दिखता है।आज का हीरो कल का जीरो होता है। कब किसका खेल खत्म हो जाये। ये आने वाला समय हर किसी को यही पर दिखता है। बेगुनाहों की हाय और… बहुत रंग लाती है। बस उसकी मार अलग तरह की होती है।क्योंकि इतिहास अपने आप को दौहरता है और नई आयामो को समय के अनुसार जन्म देता है। ये बात आज फिर से सत्य साबित हो गई कि जहाँ जिसका जितना दाना पानी लिखा है बस उतना ही मिलता है।।
समय को हमने आज अच्छे से समझ और पड़ लिया,लोगो की सोच को भी समझ लिया। अब नए माप दंडो के साथ बचा हुआ जीवन हमे जीना पड़ेगा। मैं बहुत खुश हूँ और शुक्रगुजार भी हूँ उन सभी लोगो का जिन्होंने मुझे सपोर्ट किया और जिन्होंने आलोचनाएं की सभी लोगो से में हृदय से क्षमा चाहता हूँ जिनके दिलो को मैंने प्रत्क्षय या अप्रत्क्षय रूप से दुखाया हो।
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जिंदगी रही तो,
आगे जरूर मिलेंगे।
अपने से प्यार,
हम करते रहेंगे।
ये जिंदगी क्या है,
आने वाली जिंदगी में।
हम अपने लोगो के,
बीच में जिंदा रहेंगे।
भले ही वो,
हमसे नफरत करे।
पर में दिल से,
उन्हें दुआ देते रहेंगे।।
जय जिनेनद्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)