‘परिन्दे की उड़ान’

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anurag

ऐ परिन्दे! उड़, अभी तेरी उड़ान बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा,अभी पूरा आसमान बाकी है।
निर्मल-नील-गगन में गुनगुनाता चल;
नित्य-नए सफलता के गीत गाता चल।
जाना है जहां तुझे,अभी वो मुकाम बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा,अभी पूरा आसमान बाकी है।
ओस की चादर को चीर के आगे निकल;
वृष्टि और उष्ण-अनिल के सामने न हो विफल।
बनानी है जो तुझे,अभी वो पहचान बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा,अभी पूरा आसमान बाकी है।
ऐ ‘अनुराग’! तू भी इस परिन्दे के साथ चल;
दुःखियों का सहारा बन,इनके उत्कर्ष के लिए मचल।
क्योंकि तेरा भी कुछ है,जो अभी अरमान बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा, अभी पूरा आसमान बाकी है।
ऐ परिन्दे! उड़, अभी तेरी उड़ान बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा, अभी पूरा आसमान बाकी है।
                                                                           #अनुराग कुमार                                                         
परिचय : उत्तर प्रदेश के जिला महाराजगंज स्थित सिसवा में अनुराग कुमार रहते हैंl आपको कविताएं लिखना बहुत पसंद हैl  

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