सूने पड़े है मंदिर मस्जिद,चमक रही है मधुशाला

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नमंदिर मस्जिद है बैर कराये
मेल मिलाती है मधुशाला |
मंदिर मस्जिद अब बंद पड़े है ,
चमक रही है अब मधुशाला ||

सूने पड़े है मंदिर मस्जिद ,
जमघट है अब मधुशाला मे |
कैसा घोर ये कलयुग आया ,
मस्ती ले रहे है मधुशाला मे ||

खुलते ही मधुशाला को
भीड़ लगी है मधुशाला मे |
बच्चे भूख से तड़फ रहे है
मजदूर पड़ा है मधुशाला मे ||

होता नहीं जब काम तुम्हारा ,
उसको बुलाओ मधुशाला मे |
काम तुम्हारा तुरंत होगा ,
जब पिलाओगे मधुशाला मे ||

जीवन के इस कोलाहल मे ,
प्यास बुझाती है मधुशाला |
पुरानी बाते याद आ जाती है ,
जब पहुच जाते मधुशाला ||

करते है मंदिर मस्जिद का बटवारा
नहीं करते बटवारा मधुशाला का |
मिल कर पी लेते है एक गिलास मे ,
कैसा सच्चा मजहब पीने वालो का ||

म से मंदिर म से मस्जिद ,
म से बनी है मधुशाला |
म से बनी जब तीनों चीजे ,
क्यो बदनाम है मधुशाला ||

आर के रस्तोगी

गुरुग्राम

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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