पिजरे की जिन्दगी कभी आबाद नहीं होती
सपनो में दिखी मंजिल जायदाद नहीं होती
कहा सुनी तो चली रहती है इस सफ़र में
हर बात पर अक्सर यूँ विवाद नहीं होती
चुंधिया जाती है ये आँखे तेज़ रोशनी में
चमकने वाली वाली चीज़ चाँद नहीं होती
अपना जान कर मांग लेते हैं तुझ से हम
हर पत्थर से पर ये फरियाद नहीं होती
जीत हार दो पहलू हैं खेल में सिक्कों के
कोशिश कोई भी पर कभी बर्वाद नहीं होती
मंदिर मस्जिद अगर घर हैं उस खुदा के
फुटपात की साँसे हर्ष क्यूँ प्रसाद नहीं होती
#प्रमोद कुमार हर्ष
सरकाघाट मंडी हिमाचल प्रदेश