सार्थक रही डिजिटल समूह चर्चा, हिन्दी प्रचार की दिशा में आगे आएँ युवा- डॉ. जैन

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इंदौर ।

हिन्दी इस राष्ट्र का स्वाभिमान है, इसीलिए सम्पूर्ण राष्ट्र को इस हिन्दी के स्वाभिमान के लिए ‘एक घण्टा देह को, एक घण्टा देश को और एक घण्टा हिन्दी को’ देने के लिए कार्य करना चाहिए। हिन्दी में हस्ताक्षर करना चाहिए एवं युवाओं को अपने संवाद की प्रथम भाषा हिन्दी ही रखना चाहिए। उक्त बातें हिन्दीग्राम द्वारा शनिवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से आयोजित डिजिटल समूह चर्चा में मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने कही। इस सत्र का संयोजन भावना शर्मा द्वारा किया गया।

हिन्दी प्रचार के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही मातृभाषा उन्नयन संस्थान से हज़ारों लोग जुड़े हैं, उनके प्रश्नों एवं संस्थान के बारे में विस्तार से जनजागृति लाने के उद्देश्य से इस लॉक डाउन काल में संस्थान द्वारा डिजिटल समूह चर्चा का आयोजन किया जिसमें सैकड़ों हिन्दीप्रेमियों ने भाग लिया एवं अपने प्रश्न पूछे।
हिन्दी का प्रचार कैसे हो? गाँव में रहकर हिन्दी प्रचार कैसे करें? निजी विद्यालयों में हिन्दी को कैसे स्थापित करें? तकनीकी रूप से हिन्दी कैसे मज़बूत हो? हिन्दी पत्रकारिता में हिन्दी का प्रभाव कैसे स्थापित हो? हिन्दी रोज़गार की भाषा कैसे बनेगी? संस्थान इस दिशा में क्या कार्य कर रहा है? आदि ऐसे कई प्रश्नों के उत्तर डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ द्वारा दिए गए।
इस सत्र में वरिष्ठ बाल साहित्यकार दिविक रमेश जी, मंचीय कवि मुकेश मोलवा, संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ नीना जोशी, राष्ट्रीय महासचिव कमलेश कमल, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन, हिंदीयोद्धा डॉ वासिफ़ काज़ी, धीरज अग्रवाल, तरुणा पुण्डीर, अंजलि वैद, गिरीश चावला, सीमा गर्ग मंजरी, हिमांशु भावसार, विभा त्रिपाठी, कुसुमलता कुसुम, ऋतुराज दुबे, अजय जोशी, कवियत्री सरिता सिंघई, हास्य कवि मुकेश मनमौजी, ओमप्रकाश जी, अलका अग्रवाल, परिणीता सिन्हा, मनीषा जोशी आदि सैकड़ों साथी सम्मिलित हुए।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।