भारत सरकार द्वारा सेना को कश्मीर में आतंकियों की ढाल बनने वाले पत्थरबाजों को सबक सिखाने की खुली छूट दी जानी चाहिए,जिससे उन पत्थरबाजों को आतंकवादियों का साथ देने का परिणाम पता चले। उनसे निपटने के लिए पैलेट गन की जगह एसएलआर और ए.के.- 47 जैसे हथियारों के इस्तेमाल करने का निर्देश भी दिया जाना चाहिए,जिससे किसी भी आतंकवादी या जिहादी को कट्टरपंथ या आतंकवाद जैसे घिनोने विचारधारा का विस्तार करने का मौका न मिल सके। हमारे देश की सीमा की सुरक्षा करने वाले सेना के जवानों के ऊपर पत्थर बरसाने वाले पत्थरबाजों के समर्थन में तमाम कथित बुद्धिजीवीयों द्वारा मानवाधिकार का हनन बताया जाता है,जो हमारी सुरक्षा करने के लिए अपने सारे सुख-चैन को त्याग कर अपने परिवार से दूर जाकर सीमा की रक्षा करते हैं। सीमा की रक्षा करते- करते उनमें से कई शहीद भी हो जाते हैं। वे लोग यह सब इसलिए करते हैं,ताकि हम लोग चैन की नींद सो सकें,अपनी और परिवार की जरूरतें पूरी कर सकें।
यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि, इतना त्याग और बलिदान करने के बाद भी अगर इन्हें कातिल,बलात्कारी और मानवाधिकार का हनन करने वाला बताया जाता है तो इस देश के भविष्य के बारे में ईश्वर भी कुछ नहीं कर सकते हैं। ऐसा देश जहां, आतंकवादियों और आतताईयों को प्रश्रय मिलता है,वह देश विकास की ऊंचाइयों को कैसे छुएगा।
माफ कीजिएगा, छोटा मुंह बड़ी बात कर रहा हूं,लेकिन जब वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति करने के चक्कर में ऐसे राष्ट्रद्रोहियों को नायक बनाया जाएगा,जो अपने नेतृत्व में नारे लगवाते हैं ‘अफजल हम शर्मिंदा हैं तुम्हारे कातिल जिंदा हैं, कितने अफजल मारोगे हर घर से अफजल निकलेगा’,तो ऐसे देश में गृह युद्ध के अलावा और किस चीज की अपेक्षा की जा सकती है। जहां आप आतंकियों को इस इस लालच में निर्दोष बताते हैं कि वे जिस जाति, धर्म से हैं उन जाति धर्मों के लोग आपको उनका समर्थन करने के लिए आभार मानते हुए वोट करेंगे तो या तो आप बड़े मूर्ख हो या फिर जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हो। क्योंकि,भारत देश के निवासी चाहे वे किसी भी जाति,धर्म या संप्रदाय के हों वे पहले भारतीय हैं,उसके बाद हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई या किसी जाति -संप्रदाय के हैं। आतंकवादियों और आतताईयों का कोई धर्म नहीं होता, यह सबको पता है। इनका समर्थन करके आपको किसी प्रकार का कोई राजनीतिक लाभ मिलने से रहा। अगर राजनेता किसी आतंकवादी को संरक्षण देते हुए किसी धर्म को साधने की कोशिश करते हैं, तो उस धर्म का अपमान ही करते हैं। इसे सभी लोग समझ चुके हैं। ये मुट्ठी भर नेता सवा सौ करोड़ की जनसंख्या में फूट डालकर अपनी रोटी सेंकने की फिराक में हैं। ऐसे में हर भारतीय से मेरा निवेदन है कि,किसी भी नेता के बयान को सुनने के बाद विचार करें, तत्पश्चात ही उनके बारे में कोई राय बनाएं।
परिचय:सामाजिक कार्यकर्ता वाली पहचान अनुपम तिवारी ‘मन्टू’ ने बनाई हैl इनकी शिक्षा बी.कॉम. हैl उत्तरप्रदेश के देवरिया जिला के भठवां तिवारी गांव के निवासी हैंl यह शौकिया लेखन करते हुए जब भी समय मिलता है तो कुछ प्रेरक और निष्पक्ष लिखने की कोशिश करते हैं ताकि,युवा साथियों को सही-गलत का निर्णय करने में सहयोग मिल सकेl