समानताएं पहाड़ से गिरेंगी
और चकनाचूर हो जाएंगी
ज्ञान के कीड़े दिमाग के सड़े हुए नाद में
बजबजाएँगे!
बड़ी बड़ी बातों पर दंगल होंगे
और छोटी छोटी बातों पर लड़ाइयां
हर बड़ा छोटे को उसी नज़र से देखेगा?
जैसे कोई अधिकारी चपरासी को देखता है
जैसे बड़का वाला साहित्यकार
हाथ पांव मारने वाले को देखता है।
जैसे टीवी वाला पत्रकार
प्रिंट वालों को देखता है।
जैसे कोई बड़ा उद्योगपति
निरीह किसान को देखता है।
ठीक वैसे ही जैसे
बौड़म बुर्जुआ
गिरमिटियों को देखता रहा होगा
या अंग्रेज भारतीयों को देखते रहे हों
नई अस्पृश्यताएँ हैं ये
जहाँ साहब के गिलास में
चपरासी नहीं पी सकता
चपरासी के गिलास में
किसान नहीं पी सकता
किसान के गिलास में मजदूर नहीं पी सकता
और मजदूर के गिलास में कोई याचक
#चित्रगुप्त