जगत के पालनहारी
जय जय जय भोले भंडारी।
ललाट चंद्र, जटा गंग
मुख तेज, नेत्र त्रिअंग
हाथ त्रिशूल डमरू
मृगछाल पडे अंग।
शरीर लगे भस्म
साँप लेटे संग
भूत पिशाच की यारी
भांग धथूर लगे प्यारी
ऐसे हैं भोले भंडारी।
उनकी महिमा कोई न जाने
पर सभी उन्ही को माने
सबको संकट से उबारे
बोले जय भोले भंडारी।
देवताओं में श्रेष्ठ
करते चमत्कार अनेक
पालनकर्त्ता दुखहर्त्ता
इनको बनाते सर्वश्रेष्ठ।
शिव -शक्ति का मिलन दिवस
महाशिवरात्रि कहलाता है
वसंत में प्रकृति भी सजधज कर हर वर्ष
सदियो से संग महाशिवरात्रि मनाता है।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति