तोड़ लूंगी तुझे मैं नर्गिस-ए-नाज़ की तरह

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praveen gahlot
उड़ के बिखरुं तेरे चेहरे पे गुबार की तरह,
छा जाऊँगी तुझ पे मैं खुमार की तरहl 
अँधेरा ही अँधेरा है रोशन कर मुझे कभी,
मैं भी श्रृंगार करूं दीवाली में बाजार की तरहll 
 
तुझे पाकर रहूँ मैं मुमताज़ की तरह,
तोड़ लूंगी तुझे मैं नर्गिस-ए-नाज की तरहl 
 
मत पूछ अटकी हुई साँसों में दबी-सी आह,
काबिल हूँ तेरे,तो हाथ थाम हमसफ़र की तरहl 
तू शज़र,तेरी छांव में हो मेरा बसर, 
साथ उड़ें हम नसीम-ए-सहर की तरहl 
एक-दो पल के लिए ही मुझसे मिलने आ,
कभी तो मैं रहूँ तेरे चेहरे पे नूर की तरहll 
 
अपने दिलों-जान में छुपा लूँ राज की तरह,
तोड़ लूंगी तुझे मैं नर्गिस-ए-नाज़ की तरहl 
 
शाम को आया तेरा ख़्वाब तो लिपटी रही, 
तेरे साए से जैसे ठंड में चादर की तरहl 
जबसे रूह ने की है बगावत दुनिया हुई पराई,
जीत के तुझको,मैं रहूँ सिकंदर की तरहll 
 
तेरी हर ग़ज़ल-गीत में हूँ,अल्फ़ाज़ की तरह,
तोड़ लूंगी तुझे मैं नर्गिस-ए-नाज़ की तरहll 
        
(शब्दार्थ: गुबार-धूल,गर्द,खुमार-नशा,नर्गिस-ए-नाज-एक फूल,नसीम-ए-सहर-हल्की-हल्की बहती हवा)
#प्रवीण गहलोत
परिचय : प्रवीण गहलोत,राजस्थान के जोधपुर से हैं। आपको शायरी की दुनिया में अरमान बाबू के नाम से जाना जाता है। आपकी जन्मतिथि ११ अगस्त १९९४ और जन्मस्थली जोधपुर के पास छोटा सा गाँव है। आप अपने देश-परिवार से बहुत प्यार करते हैं। सिविल इंजीनियर की पढ़ाई की हुई है। इंजीनियरिंग महाविद्यालय में प्राध्यापक भी रह चुके हैं। कार्य के प्रति विशेष रुचि रखते हैं,इसलिए दुबई से प्रस्ताव आने पर अब वहां यही कार्य क्षेत्र अपनाने की तैयारी है। रुचि संगीत,समाजसेवा,नए पर्यटन स्थान पर घूमना है। आप हिंदी के साथ उर्दू में भी रचनाएं लिखते-कहते हैं। उर्दू में रचनाएँ प्रकाशित हुई है। इनकी लेखनी का उद्देश्य भारत के युवाओं को हिंदी के प्रति अपनी कलम से जागरुक करना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।