तनाव अर्थात जीवन में नया बदलाव

0 0
Read Time3 Minute, 45 Second

prerana

आजकल हलचल और काम का बोझ मनुष्य को बहुत जल्दी विचलित कर देता है, जिसे ‘तनाव’ का नाम दिया जाता है। आज इससे सबसे ज्यादा महिलाएं सफ़र कर रही हैं। हम बेटियों को बेटे के बराबर की शिक्षा दे रहे हैं पर,जब वो इस लायक बन जाती तब बात आती। शादी के बाद वहाँ तालमेल बैठाना,घर और बाहर दोनों को संभाल नहीं पाती,तब घर के तांडव और काम के बोझ से तनाव को दावत मिलती है। उसे लगता-क्या मैंने इन सबके लिए मेहनत की,क्या मुझे घर में बैठना चाहिए। वो कुछ दिन ये भी करके देखती,पर सुकून नहीं पाती।
इसी कशमकश में तनाव ग्रसित हो जाती। कुछ अपना घर छोड़ देती, कुछ काम छोड़ देती और कुछ दुनिया..जिसका मुख्य कारण परिस्थिति से परे सोचना अर्थात स्वीकारने की आदत न होना है। औरत कितनी भी आगे बढ़ जाए, पर उसका फ़र्ज़,घर ये स्वीकारना जरुरी है।
दूसरा कारण अहम,हमारे लिए क्या जरुरी है,क्या नहीं, ये परिस्थिति पर निर्भर है। आप एकल हो या परिवार के साथ, दक्षता जरुरी है ।
तीसरा कारण भाग्य,जिसे आजकल की नई पीढ़ी नहीं मानती,पर ये है। आप सबसे लड़ सकते हैं,भाग्य से नहीं। तमाम कोशिशों के बाद जो नहीं मिलता है,वो भाग्य के अधीन होता है।
अब तनाव से छुटकारा पाने के कई सरल तरीके हैं। सबसे अहम धैर्य और शांति,जिसके लिए l योग और ध्यान बनाया गया है। आप शांत मन से सोचें,धीरे-धीरे सब स्थिर हो जाता है
इसमें किस्मत को दूसरा हल हम मान लें। जब परिस्थिति विकट हो और छोड़ने की नौबत आए,यही किस्मत है । अलग होना समस्या का हल नहीं है।
तीसरा-वर्तमान में स्थिर हो जाएं। हमारे साथ क्या बुरा हुआ, वो अब सुधारना हमारे वश में नहीं है। भविष्य में उज्जवल होना है,तो भूत को त्यागना है। अब बस बचता है वर्तमान,उसमें जीना सीखें और उसे संवारें
इन सबको हल करने का सबसे सरल उपाय आपस का वार्तालाप है। अपनों का साथ साझा करें,हल बाहर नहीं,घर में ही होता है।
तो तनाव को दूर करें और जीवन में बदलाव लाएँ। कुछ अच्छा करें,अलग करें और नाम करें। बुरे विचारों से ग्रसित होकर मानव जीवन व्यर्थ न करें।
यह याद रखिए कि ‘जैसी होगी मनस्थिति, वैसी होगी परिस्थिति’..
अर्थात मनस्थिति बदलें, सकारत्मक, सोचें तो परिस्थिति स्वयं बदल जाएगी। जब भी तनाव आए,निश्चित है आपके जीवन में नया बदलाव इंतजार कर रहा है तो धैर्य रखें।

                                                                               #प्रेरणा सेंद्रे 

परिचय: प्रेरणा सेंद्रे  इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

गुरुवर विद्यासागर एक मसीहा

Fri Apr 21 , 2017
लुट गई है पूरी बस्ती, बस मिट रही है हस्ती। अब आया एक मसीहा, आगम की उसमें मस्ती।। बढ़ता ही जा रहा है, सच को जिता रहा है। जिनवर का है दीवाना, राग-द्वेष नशा रहा है।। अब है समझ में आया, कुछ भी न मैंने पाया। शिवमग मिला उसी को, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।