ज़रुरत के हिसाब से अब साथ चलते हैं लोग..!
आजकल बेसबब कब किससे मिलते हैं लोग..!
वो दौर ओर था चेहरे हाल-ए-दिल बताते थे..!
अब तो एक चेहरे पे कई चेहरे रखते हैं लोग..!
वो जो कसमें खाते हैं ताउम्र साथ निभाने की..!
वो मुसीबत आने पर हाथ छोड़ निकलते हैं लोग..!
खुद से बड़ा हमदर्द हमसफ़र कोई नहीं होता..!
जिसे खुद पर यकीं वहीं सदा निखरते हैं लोग..!
#कमल सिंह सोलंकी
रतलाम (मध्यप्रदेश)
परिचय-
नाम–कमल सिंह सोलंकी
पेशा–शासकीय शिक्षक
निवास–7 पुनम विहार रतलाम मध्यप्रदेश
प्रकाशित पुस्तक–कसक बाक़ी..(झांसा संग्रह)