इक माँ ने जन्म दिया,
इक नन्हे राज दुलारे को।
प्यार स्नेह और संस्कार से सींचा,
अपनी आँख के तारे को।
न जाने कौन सी कमी रह गई,
उसे नेकदिल बनाने में।
घात लगाएँ बैठा था वो,
अपने अन्दर शैतान जगाने को।
कैसे हाथ लगाया उसने,
मासूम लड़कियों के जिस्म को।
लड़की की चीखे सुनाई तक न दी,
तेरे लाल के कानों को।
ऐ माँ न डाल पर्दा तू ,
अपने बेटे की हैवानियत बचाने को।
तोड़ दे तू अपने सारे,
मोह-ममता और स्नेह के धागे को।
ला खड़ा कर उसे बीच चौराहे,
फांसी पर लटकाने को।
और दे न्याय उस बेटी की,
सिसकती, बिलखती आहों को।
#प्रो. सुरभि जायसवाल
इंदौर (मध्यप्रदेश)
परिचय-
नाम- सुरभि जायसवाल
साहित्यिक उपनाम- सुभी जायसवाल
वर्तमान पता-इंदौर
राज्य- मध्यप्रदेश
शहर- शहडोल
शिक्षा- पोस्ट ग्रेजुएशन
कार्यक्षेत्र- प्रोफेसर
लेखन का उद्देश्य- सामाजिक हित