कल ने कल से,
कल मिलने को कहां।
आज देख कर हंस पड़ा।
तो कल बोला क्यो हंसे,
आज बोला यही सुनता
आ रहा हूँ वर्षो से।
पर कल कभी आता नही,
और तुम को कभी मिलना नही।।
इस कल कल के चक्कर मे पड़कर।
न जाने कितने लोग,
इस दुनियां से चले गए।
और न जाने कितनों को
और अभी जाना है।
पर कल तेरा कभी न आने वाला है।।
आज में जीने वाला
आज में जीता है।
तभी तो खुशाल रहता है।
कल वाला काल की,
चक्की में पीस जाता है।
इसलिए आज कल को,
देखकर बहुत मुस्कराता है।।
कल को छोड़ो आज को देखो।
कल न किसी का हुआ है।
और न कल होगा।
इसलिए आज में
वजन ज्यादा होता है।
और जिंदगी कल से,
आज में खुश रहता है।।
इसलिए आज में जीने
वाला इंसान सफल होता है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।