17 साल की एक लड़की एक विधायक के घर नौकरी के लिए बात करने जाती है और फिर कुछ समय बाद वह बताती है कि विधायक के घर पर उसका रेप किया गया…
इसके बाद वह गायब हो जाती है… उसके पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो जाती है… फिर एक हादसे में उसकी चाची, मौसी और ड्राइवर की मौत हो जाती है …उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं…वह चीफ जस्टिस समेत सभी आला पुलिस अधिकारियों को चिठ्ठी लिखती है लेकिन उसकी चिट्ठी कहीं नहीं पहुंचती…और आखिरकार इस लड़ाई को लड़ते लड़ते वह अपनी जिंदगी से हारने लगती है…
यह कहानी किसी सस्पेंस थ्रिलर या क्राइम फ़िल्म की स्क्रिप्ट नहीं बल्कि साल 2017 से शुरू हुए उन्नाव रेप पीड़िता की असल ज़िंदगी की कहानी है…
आज से लगभग दो साल पहले सुर्खियों में आया यह मामला आजकल फिर से ख़बरों में है…
शोषण उत्पीड़न और क्रूर अपराध की इस दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर से कुछ पुरानी घटनाओं को भी ताजा कर दिया है… एक बार फिर सभी सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि देश में बहुत कुछ बदला लेकिन लड़कियों के लिए असुरक्षा का वातावरण नहीं बदला…
2012 की निर्भया गैंगरेप की दिल दहला देनेवाली घटना को भी हम अब तक भूल नहीं पाए। दिल्ली की उस वारदात ने पूरे देश को झकझोर दिया था। देश के हर हिस्से में इस घटना को लेकर गुस्सा देखने को मिला। लोग सड़क पर उतरे। अपने अपने तरीके से अपना दुःख और आक्रोश व्यक्त किया और उस लड़की की सलामती की दुआएं मांगी। थोड़े दिनों के लिए उस लड़की का दर्द मानो हरेक देशवासी का दर्द बन गया। लगा कि इस देश में अब लड़कियों के लिए असुरक्षा का वातावरण खत्म हो जाएगा। लेकिन कुछ नहीं बदला।
ऐसी कितनी ही घटनाएं हर रोज देश के विभिन्न हिस्सों में घटित होती हैं जो इसकदर चर्चा में नहीं आतीं, जिनकी खबर नहीं बनती लेकिन यह आंकड़े भयभीत करते हैं।
छेड़छाड़, जबरदस्ती, घरेलू हिंसा और बलात्कार के अधिकांश मामले लोकलाज और समाज के भय के कारण दबा दिए जाते हैं। हमारा सामाजिक परिवेश और कानून व्यवस्था के प्रति अविश्वास ऐसी घटनाओं को चुपचाप सहन करने के लिए मजबूर कर देता है।
पिछले साल आसिफा को लेकर भी वही शोरशराबा हुआ। इस बार यह जघन्य घटना एक मासूम बच्ची के साथ हुई जिसे जाति, बिरादरी और धर्म में फर्क तक नहीं पता था। टीवी के हर न्यूज़ चैनल पर लोग बहस में उलझे रहे। कुछ लोग गुनहगारों को बचाने के लिए शोर करते रहे तो कुछ लोग उस मासूम के लिए इंसाफ की गुहार लगाते रहे। लेकिन यह सब भी कुछ दिनों की सुर्खियां थीं। थोड़े ही दिनों में दूसरी सनसनीखेज खबर आई और ये तमाम लोग किसी नई बहस में उलझ गए।
ऐसी मौत किसी एक बेबस इंसान की मौत नहीं बल्कि व्यवस्था पर देश के भरोसे और विश्वास की मौत होती है। सभ्य समाज में जीने का दावा करनेवाले हरेक इंसान की मौत होती है।
मानवता को तार तार करने वाली ऐसी घटनायें सरकार और पुलिस प्रशासन के साथ समाज को भी कठघरे में खड़ा करती हैं।
जब तक देश के किसी भी कोने में किसी भी बेटी के सामने भय का यह साया बना रहेगा तब तक हम एक सभ्य समाज में जीने का दावा नहीं कर सकते। निर्भया, आसिफा और उन्नाव की पीड़िता के नाम तो केवल मिसाल के लिए हैं।
प्रताड़ना से जुड़े ऐसे अपराधों के लिए सख्त कानून बनाये जाने, नाबालिग के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा का प्रावधान किये जाने, फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या बढ़ाकर पीड़िता को शीघ्र न्याय और अपराधी को सजा दिलाये जाने, ऐसे मामलों की सुनवाई महिला जज द्वारा कराये जाने, पीड़ित महिला के बयान या पत्र को प्रामाणिक सबूत मानने, क्रास एग्जामिनेशन की प्रक्रिया को खत्म करने और ऐसी घटनाओं में संलिप्त व्यक्तियों की पहचान सार्वजनिक किये जाने की दिशा में सरकार ने कुछ कड़े कदम उठाये हैं लेकिन अभी बहुत कुछ है जो करना बाकी है।
यह समझ लेना भी जरूरी है कि समाज के अंदर बदलाव केवल सरकार, प्रशासन और कानून के भरोसे नहीं हो सकता। सामाजिक बदलाव के लिए समाज के लोगों को आगे आना होगा…
बेहद जरूरी है कि हम सब उन्नाव की बेटी के दर्द को महसूस करें… समाज और राजनीति के अंदर पनप रहे इस नकारात्मक संकेत को समझने की कोशिश करें और अपनी चुप्पी तोड़ें…
#डॉ. स्वयंभू शलभ
परिचय : डॉ. स्वयंभू शलभ का निवास बिहार राज्य के रक्सौल शहर में हैl आपकी जन्मतिथि-२ नवम्बर १९६३ तथा जन्म स्थान-रक्सौल (बिहार)है l शिक्षा एमएससी(फिजिक्स) तथा पीएच-डी. है l कार्यक्षेत्र-प्राध्यापक (भौतिक विज्ञान) हैं l शहर-रक्सौल राज्य-बिहार है l सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल के इस सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई मुद्दे सरकार के सामने रखे,जिन पर प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री कार्यालय सहित विभिन्न मंत्रालयों ने संज्ञान लिया,संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम उठाए हैं। आपकी विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी,लेख और संस्मरण है। ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं l ‘प्राणों के साज पर’, ‘अंतर्बोध’, ‘श्रृंखला के खंड’ (कविता संग्रह) एवं ‘अनुभूति दंश’ (गजल संग्रह) प्रकाशित तथा ‘डॉ.हरिवंशराय बच्चन के 38 पत्र डॉ. शलभ के नाम’ (पत्र संग्रह) एवं ‘कोई एक आशियां’ (कहानी संग्रह) प्रकाशनाधीन हैं l कुछ पत्रिकाओं का संपादन भी किया है l भूटान में अखिल भारतीय ब्याहुत महासभा के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान और साहित्य की उपलब्धियों के लिए सम्मानित किए गए हैं। वार्षिक पत्रिका के प्रधान संपादक के रूप में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए दिसम्बर में जगतगुरु वामाचार्य‘पीठाधीश पुरस्कार’ और सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अखिल भारतीय वियाहुत कलवार महासभा द्वारा भी सम्मानित किए गए हैं तो नेपाल में दीर्घ सेवा पदक से भी सम्मानित हुए हैं l साहित्य के प्रभाव से सामाजिक परिवर्तन की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जीवन का अध्ययन है। यह जिंदगी के दर्द,कड़वाहट और विषमताओं को समझने के साथ प्रेम,सौंदर्य और संवेदना है वहां तक पहुंचने का एक जरिया है।