जब भी मौसम सुहाने आते है तुम याद आते हो
जब कोई मंजर लुभाने आते है तुम याद आते हो।
ऐसे तो याद नही आते हो तुम कभी लेकिन
जब-जब पल मस्ताने आते है तुम याद आते हो।
आज भी याद है वो तुम्हारा हंसता हुवा चेहरा
जब ग़म दिल दुखाने आते है तुम याद आते हो।
तुमसे मिले बिछडे दशक बीत गया है फिर भी
कोई गीत गुनगुनाने जाते है तुम याद आते हो।
तुम्हारे बाद कम ही बनता है खुशियों का योग
पर जब भी मुस्कुराने जाते है तुम याद आते हो।
आज तक सब भुलके हमने भी घर बसा लिया होता
पर किसी को अपनाने जाते है तुम याद आते हो।
संजय अश्क
पुलपुट्टा,बालाघाट