जमीनी कार्यकर्ताओ को सम्मान की मुहिम से फिर सुर्खियों में आये हरीश रावत

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gopal narsan
लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद कांग्रेस को भले ही भाजपा समर्थित लोग कांग्रेस को डूबता जहाज मान रहे हो लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस नेतृत्व यदि स्वयं की व पार्टी नेताओं की कार्यप्रणाली में वर्तमान के अनुरूप बदलाव कर ले तो कांग्रेस फिर से देश मे सत्ता का विकल्प बन सकती है।कांग्रेस में शीर्ष स्तर पर भले ही अध्यक्ष पद को लेकर उहापोह चल रहा हो ,लेकिन यह सच है कि मन से कोई भी कांग्रेसी राहुल गांधी का विकल्प नही बनना चाहता
जिसका प्रमाण राहुल गांधी को अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा खून से लिखे गए पत्र है,जो पार्टी के प्रति निष्ठा की पराकाष्ठा का ठोस प्रमाण कहा जा सकता है।वही राहुल गांधी की जिद भी जायज है क्योंकि जो नेता चुनाव में समय उनपर अपने स्वार्थ के लिए दबाव बना कर हकदार कार्यकर्ताओ का हक छीनते हुए अपनी बेटी,बेटियो या फिर चेहतों,रिश्तेदारों के लिए टिकट मांगते है उन्हें हार का सामना करने पर उसकी जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।उत्तराखंड में पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव हार चुके पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हार पर अफसोस व्यक्त कर घर बैठकर समय बेकार करने के बजाए उन कारणों की खोज शुरू कर दी है जिनके कारण कांग्रेस बार बार पराजय का मुंह देख रही है।हार की एक वजह ईवीएम मशीन हो सकती है लेकिन साथ ही यह भी सच है कि बीता लोकसभा चुनाव उतनी मेहनत और शिद्दत से नही लड़ा गया,जितना की लड़ा जाना चाहिए था।जिस प्रकार भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के साथ साथ चुनाव के आखिरी समय तक दूसरी पार्टियों में सेंध लगाकर बूथ स्तर तक स्वयं को मजबूत बनाये रखने में लगी रही वही कांग्रेस में यह चुनाव अधिकांशत हवा हवाई ही रहा।देरी से प्रत्याशियों के नामो की घोषणा होना, कांग्रेस संगठन स्तर पर पदाधिकारियों द्वारा अपनी जिम्मेदारी महसूस न करना,जमीनी कार्यकर्ताओ तक पहुंच बनाकर उनका भरपूर उपयोग न करना जहां कारण रहे ।वही सत्ता में रहते हुए जमीनी कार्यकर्ताओं को पर्याप्त सम्मान न मिलने या फिर अत्यधिक देरी से मिलने के कारण जमीनी स्तर पर उपजे असन्तोष ने कांग्रेस की ताकत को कमजोर किया है।जिस प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अब पुराने कार्यकर्ताओ के घर जाकर उनका सम्मान कर रहे है और उनसे पार्टी में सक्रिय होने का अनुरोध कर रहे है।यदि यह काम पहले हुआ होता अर्थात चुनाव से पहले पार्टी नेताओं ने जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सम्मान देकर गले लगाने की कोशिश की होती तो आज तस्वीर भाजपा के बजाय कांग्रेस की नजर आती।साथ ही पार्टी के बड़े नेताओं को अपने इर्दगिर्द मंडराने वाले चमचो,अवसरवादियों,दलालो से मुक्त होकर उन्ही जमीनी कार्यकर्ताओ से सीधा संपर्क बनाना होगा। जिनके और नेताओं के बीच चमचे या फिर अवसरवादी गहरी खाई पैदाकर कार्यकर्ताओ से नेताओ की दूरी पैदा कर पार्टी को क्षति पहुंचाते हैं।यह कमी आज भी नेताओ में बदस्तूर जारी है।अधिकांश नेताओ की अपने चमचो की आंखों से देखने की आदत के कारण ही पार्टी और स्वयं नेताओ को नुकसान पहुंच रहा है।इस कमी का शिकार स्वयं हरीश रावत भी हो रहे है।यदि उन्होंने ज़मीनी कार्यकर्ताओ की समय रहते पहचान कर उन्हें सम्मान देकर अपने साथ जोड़ा होता तो हरीश रावत कोई भी चुनाव न हारते।दूसरी गलती उनकी हरिद्वार छोड़ कर नैनीताल जाने की रही है।आज भी उनके इर्द गिर्द ऐसे लोग उन्हें घेरे हुए रहते है ,जो अपने छोटे छोटे स्वार्थ के लिए  उनका इस्तेमाल कर उनकी लोकप्रियता में बाधक बन जाते है।जिनसे बचने की और निस्वार्थ कार्यकर्ताओ से जुड़ने की जरूरत है।उन्हें अपनी इस कमी का खामियाजा भुगतना पडा है।आज भी गांव,न्याय पंचायत, ब्लाक,तहसील,नगर,महानगर,ज़िला ,प्रांत और राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी के अंदर की गुटबाजी पार्टी को कमजोर करने का काम कर रही है।जब तक व्यक्तिवादी,गुटवादी,क्षेत्रवादी,जातिवादी, धर्मवादी बनकर हम जनता को गुमराह कर वोट पाने की सोचते रहेंगे तब तक पार्टी जीत की तरफ बढ़ ही नही सकती।वही शीर्ष नेताओं को जमीनी हकीकत जानने के लिए जमीनी कार्यकर्ताओ तक सीधी पकड़ बनानी होगी और सत्ता मिलने पर वास्तविक कार्यकर्ताओ को भी सत्ता में समय से भागीदार बनाना होगा ।साथ ही जो लोग 70 साल की कथित नाकामी का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ रहे है ,उनको 70 साल की विकास शील उपलब्धियो का श्रेय भी कांग्रेस को मिले इसके लिए वातावरण तैयार कर मजबूर करना होगा।लेकिन आज 70 साल को नाकाम बताने वाले लोगो को माकूल जवाब नही दिया जा रहा है।कांग्रेस विरोधी लोग कांग्रेस और कांग्रेस के कर्णधार रहे गांधी,नेहरू ,आजाद समेत देशभक्ति के पर्याय बने महापुरुषों की आलोचना करते है और गांधी जी के हत्यारे व उनके प्रशंसको का महिमा मंडन करते है लेकिन कांग्रेस या फिर उसके कार्यकर्ता कड़ा प्रतिवाद नही कर पाते इसीकारण कांग्रेस को लगातार नुकसान हो रहा है।इन मुद्दों पर खुद को सक्रिय करे व प्रवक्ताओं की टीम शालीनता से और जोरदार ढंग से कांग्रेस का पक्ष देश के सामने रखे, तभी कांग्रेस का बीता स्वर्णिम युग वापस आ सकता है|
#श्रीगोपाल नारसन
परिचय: गोपाल नारसन की जन्मतिथि-२८ मई १९६४ हैl आपका निवास जनपद हरिद्वार(उत्तराखंड राज्य) स्थित गणेशपुर रुड़की के गीतांजलि विहार में हैl आपने कला व विधि में स्नातक के साथ ही पत्रकारिता की शिक्षा भी ली है,तो डिप्लोमा,विद्या वाचस्पति मानद सहित विद्यासागर मानद भी हासिल है। वकालत आपका व्यवसाय है और राज्य उपभोक्ता आयोग से जुड़े हुए हैंl लेखन के चलते आपकी हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें १२-नया विकास,चैक पोस्ट, मीडिया को फांसी दो,प्रवास और तिनका-तिनका संघर्ष आदि हैंl कुछ किताबें प्रकाशन की प्रक्रिया में हैंl सेवाकार्य में ख़ास तौर से उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए २५ वर्ष से उपभोक्ता जागरूकता अभियान जारी है,जिसके तहत विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विधिक सेवा प्राधिकरण के शिविरों में निःशुल्क रूप से उपभोक्ता कानून की जानकारी देते हैंl आपने चरित्र निर्माण शिविरों का वर्षों तक संचालन किया है तो,पत्रकारिता के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वास के विरूद्ध लेखन के साथ-साथ साक्षरता,शिक्षा व समग्र विकास का चिंतन लेखन भी जारी हैl राज्य स्तर पर मास्टर खिलाड़ी के रुप में पैदल चाल में २००३ में स्वर्ण पदक विजेता,दौड़ में कांस्य पदक तथा नेशनल मास्टर एथलीट चैम्पियनशिप सहित नेशनल स्वीमिंग चैम्पियनशिप में भी भागीदारी रही है। श्री नारसन को सम्मान के रूप में राष्ट्रीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ.आम्बेडकर नेशनल फैलोशिप,प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान के साथ भी विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर(बिहार) द्वारा भारत गौरव

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