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फिल्म की वास्तविक कहानी:-शुरुआत से
फिल्म एक सीन के साथ शुरू होती है जहां एक आदमी और औरत बिस्तर पर सो रहे हैं और पीछे से समुद्र की तेज़ लहरों की आवाज़ आ रही है। इन्हीं लहरों की आवाज़ के साथ हम कबीर सिंह की तूफानी ज़िंदगी में एंट्री लेते हैं। वो एक मेडिकल सर्जन है और फुटबॉल चैंपियन है। लेकिन अंदर ही अंदर कई समस्याओं से घुट रहा है जिनमें बेतहाशा गुस्सा एक है।
कबीर सिंह की नज़रें जैसे ही प्रीति (कियारा आडवाणी) पर पड़ती हैं, वो बागी बन जाता है , ऐसा बागी जिसके पास अब एक मक़सद भी है। एक शरमाई सी सहमी सी लड़की, प्रीति भी कबीर को अपने दिल की बात बताती है लेकिन उनका रिश्ता ज़्यादा दिन तक नहीं चलता है। इसके बाद कबीर खुद को तबाही के रास्ते पर ले चलता है। शराब, नशा और सेक्स, हर चीज़ उसे उसके दुख से दूर ले जाने की कोशिश करती है।
तेलगू फिल्म का रीमेक है कबीर सिंह:-
कबीर सिंह तेलुगू फिल्म अर्जुन रेड्डी का हिंदी रीमेक है। तेलुगू फिल्म में विजय देवरेकोंडा और शालिनी पांडे ने चार चांद लगाए थे। शाहिद कपूर की फिल्म का हर फ्रेम, ओरिजिनल फिल्म की कॉपी है। हालांकि हिंदी दर्शकों की उम्मीदें पूरी करने के लिए डायरेक्टर संदीप वांगा रेड्डी ने पूरी कोशिशें की हैं।
क्या देखें फिल्म में:-
कबीर सिंह में बहुत कमियां हैं। वो एक नशेड़ी है, औरतों को अपनी जागीर समझता है, एक सनकी आशिक है। लेकिन इन बातों को समझना ज़रूरी है कि कबीर सिंह कैसे इस तरह का इंसान बना है। इससे पहले कि फिल्म को पुरूष प्रधान समाज की झलक कह दिया जाए, फिल्म की भाषा को समझना बहुत ज़रूरी है।
अब ये सही है या गलत वो कभी खत्म ना होने वाली बहस है और इस बहस के लिए सबकी अपनी अपनी दलीलें हो सकती हैं। इसके बावजूद आप कबीर सिंह को समझने की कोशिश करते हैं और इसका पूरा श्रेय जाता है संदीप के शानदार लेखन को।
कहानी शुरुआत से क्लाइमैक्स तक:-
जब कबीर का भाई अपनी दादी को कहता है कि कबीर की मदद करिए उसका दुख कम करने में तो दादी का कहना है कि दुख कभी कोई किसी का कम नहीं कर सकता। सबको अपने अपने हिस्से का दुख झेलना है। लेकिन ये दर्द संदीप आपको भी महसूस करवाते हैं। आप कबीर के सफर पर उसके साथ निकल पड़ते हैं और इसलिए क्लाईमैक्स तक आप भी फिल्म का हिस्सा बन जाते हैं। और यहीं कबीर सिंह की जीत है।
निर्देशन और लेखन सुपरहिट:-
हालांकि फिल्म में अर्जुन रेड्डी सा बेबाकीपन नहीं है। संदीप ने कुछ सीन भी छोड़ दिए हैं जो फिल्म को और गहरा बना सकते थे। इसके अलावा, फिल्म को ए सर्टिफिकेट देने के बावजूद सेंसर बोर्ड ने फिल्म से सारी गालियां बीप कर दी हैं जो आपको फिल्म के बीच में गुस्सा दिलाएगा। अगर आपको जुनूनी प्रेम कहानियां नहीं पसंद है तो आपको कबीर सिंह मात्र 3 घंटे बोर कर सकती है।
फिल्म में शाहिद का किरदार:-
कबीर सिंह पूरी तरह से शाहिद कपूर की फिल्म है। प्यार, गुस्सा, जुनून, सनक, आसपास के लोगों के साथ बेहूदापन, कोई भी इमोशन हो, शाहिद कपूर ने उसे बेहतरीन ढंग से निभाया है और यही कारण है कि आपको लगेगा कि कबीर सिंह सच में कोई इंसान है, महज़ एक किरदार नहीं। इस बात के लिए संदीप के लेखन को पूरे नंबर मिलने चाहिए।
फिल्म के सभी कलाकारों की अदाकारी:-
जहां एक तरफ विजय देवरेकोंडा ने अर्जुन रेड्डी में हर सीन अपने नाम किया था, वैसे ही शाहिद कपूर ने कबीर सिंह को पूरी तरह से अपने नाम किया है। हालांकि तेलुगू फिल्म हिंदी फिल्म से थोड़ी बेहतर थी। कियारा आडवाणी ने अच्छा काम किया है लेकिन आप शालिनी पांडे की मासूमियत मिस करेंगे।
कबीर के दोस्त के किरदार में सोहम मजूमदार फिल्म को थोड़ा हल्का करते हैं। भाई के किरदार में अर्जन बाजवा के भी कुछ अच्छे सीन हैं। इसके अलावा सुरेश ओबेरॉय, निकिता दत्ता और कामिनी कौशल ने भी अपने अपने किरदार बखूबी निभाए हैं।
कबीर सिंह फिल्म की कहानी से सीख:-
एक सीन में में देवदास बना हुआ दिल टूटा आशिक कबीर सिंह (शाहिद कपूर) अपने दोस्तों को बताता है कि ज़िंदगी में तीन ही घटनाएं अच्छी होती है – पैदा होना, प्यार होना और मर जाना। बाकी सब कुछ जो हमारी ज़िंदगी में होता है वो किसी ना किसी चीज़ के प्रति हमारा रिएक्शन होता है। और वाकई इन तीन घटनाओं के साथ आप कबीर सिंह की ज़िंदगी बदलते देखेंगे।
क्यों देखें कबीर सिंह:-
कुल मिलाकर कबीर सिंह एक बेहतरीन लव स्टोरी है और आपको प्यार पर एक बार फिर से यकीन दिलाएगी। शाहिद कपूर आपके दिल तक वो दर्द पहुंचाएंगे जो अकसर नाकाम प्यार में होता है। हमारी तरफ से फिल्म को रेटिंग 5.0 स्टार।
#शिवांकित तिवारी ‘शिवा’
परिचय–शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.)है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश)में बसेरा है। मध्यप्रदेश के श्री तिवारी ने कक्षा १२वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है,और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है,जो गरीब बच्चों की पढ़ाई,प्रबंधन,असहायों को रोजगार के अवसर,गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है,जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है,और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। यह ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। शिवांकित तिवारी की लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी,माँ शारदे,और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता,युवा कवि,सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो,कविता,लेख,पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना,कवि सम्मेलन में शामिल करना,और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।
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