जीवी हैं बुद्धि नहीं, कहलाते बुद्धिजीवी हैं।
सेवा वो किये नहीं, कहलाते समाजसेवी हैं।।
कार्य करते नहीं वो,कार्यकर्ता कहलाते हैं।
निधि अपना भरते,प्रतिनिधि कहलाते हैं।।
गणमान्य हैं सबके,मान्य वो गण रखते हैं।
अपने साथ सूई नहीं, कैंची जरुर रखते हैं।।
अनपढ़ नेता बनते,पढ़कर नौकरी करते हैं।
आईएएस उनके ही,ले फाइल पीछे घूमते हैं।।
जनता का सेवक वे,वेतन पेंशन सब लेते हैं।
टैक्स के नाम पर वे,फूटी कौड़ी नहीं देते हैं।।
वाह!वाह!ये क्या है?शून्य से शिखर चढ़ते हैं।
जनता वहीं की वहीं, तिजोरी अपना भरते हैं।।
कर्मचारी के नाम पर,देखो देने से कतराते हैं।
किसानों की हालत से,नहीं कभी शर्माते हैं।।
प्रजातंत्र में प्रजा मरती,नेता मौज उड़ाते हैं।
ज्ञानतंत्र हो देश हमारा,अब क्यों नहीं लाते हैं।।
सद्भाव मिटाते सबके,आपस में लड़वाते हैं।
वोट के खातिर उनके,खातिरदारी करते हैं।।
किं बहुना अब कहूँ मैं, कहने में शर्माते हैं।
राजनीति वही है देखा,अपनो को मरवाते हैं।।
श्रेष्ठ राजनीति वही जो,स्वयं आहूत करते हैं।
सर्वस्व समर्पित करके,राजनीति जो करते हैं।।
धन्य धन्य वे धन्य हैं,धन्यवाद उन्हें हम देते हैं।
शिव हलाहल पीकर,आबाद सभी को रखते हैं।।
रचना मौलिक एवं स्वरचित व सर्वाधिकार @ सुरक्षित है।
#डॉ कवि रवीन्द्र प्रसाद,
परिचय-
डॉ० रवीन्द्र प्रसाद
नाम:- रवीन्द्र प्रसाद
चतरा(झारखण्ड)
पद- प्रधान शिक्षक,उत्क्रमित मध्य विद्यालय जेहरा, प्रखण्ड-पत्थलगड्डा,जिला-चतरा(झारखण्ड)
पिता- स्वर्गीय अर्जुन प्रसाद, शाम्भवी शक्त्याचार्य (राष्ट्रपति पुरस्कृत प्रधानाध्यापक)
माता- स्वर्गीया सुमित्रा देवी
पितामह(दादा)- स्वर्गीय बलदेव सहाय(हेड पंडित)
पितामही(दादी)- स्वर्गीया कविलास देवी
शैक्षिक योग्यता:- शास्त्री(संस्कृत),एम० ए(हिन्दी),
प्रशैक्षणिक योग्यता:- बी०टी
विशेष योग्यताएं:- ज्योतिष शिरोमणि(एम०ए),वास्तु महर्षि (एम०वी), फेंगशुई विशेषज्ञ,भू-जल अन्वेषक।
सम्मान:- विद्यावाचस्पति सारस्वत (गाजियाबाद),साहित्य भूषण (लखीमपुर,खीरी),
साहित्य श्री (मेरठ)
श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान (सूर्यम् साहित्य सागर)
मंच मार्तण्ड (किशनपुर, फतेहपुर)
परमहंस फाल्गुन गिरि महाराज स्मृति सम्मान (किशनपुर,फतेहपुर )
रवीन्द्र नाथ ठाकुर सम्मान ( कामना कला संगम, कोलकाता)
कवि चौपाल मनीषी सम्मान ( राष्ट्रीय कवि चौपाल, दौसा, राजस्थान)
सारस्वत सम्मान ( मेदिनीनगर, पलामू)
शब्द साधक सम्मान ( युग धारा फ़ाउन्डेशन, लखनऊ)
विशेष उपलब्धि:- बगला शक्त्याचार्य(तंत्र-मंत्र-यंत्र विज्ञ)
लेखन विधाएं:- कविता एवं साहित्य (हिन्दी एवं संस्कृत)
प्रकाशित कृतियां:- ईक्कीसवीं सदी नारी सदी(2002 ई०), अछूत चेतना शंखनाद और नारी चेतना शंखनाद
(2018 ई०)।
प्रकाशनाधीन:- 1.कहां है ब्रह्म (भाग एक और दो),
तस्मै श्री गुरुवे नमः
व अन्य कृतियां