Read Time5 Minute, 15 Second
दोस्त आज कल के इस युग मे जहां एक इंसान दूसरे इंसान को कुछ नही समझता सिर्फ खुद को ही श्रेष्ठ कहता है। मैं सही और बाकी के सब गलत या में पढा लिखा बाकी के सब…../ पहले के समय मे जब राजाओ का शासन था तब राजदरबार में ऐसा ही कुछ होता था। एक छोटा सा उदाहरण देकर अपनी बात को में कहने और समझाने का प्रयास कर रहा हूँ ।
एक राजा के दरबार मे तीन महाविध्दमान थे। उन सभी की ये विशेषता थी कि जो भी व्यक्ति कोई बात कहता था उसे सुनकर उन्हें याद हो जाती थी। एक को एक बार मे दूसरे को दो बार मे और तीसरे को तीन बार मे ।
जिसके कारण राजा की नगरी में कोई भी विध्दमान इस तीनो को कभी भी नही हर पा रहा था। उसका कारण याद उनकी याददाश ।राजा ने एक बार कहा कि जो भी इन तीनो को हराएगा उससे हम राजकुमारी की शादी करेंगे। सारे शहर में एलान करवा दिया ।परन्तु कोई भी उन तीनो को नही हर सक रहा था। कोई बात ये घटना का लोग जिक्र करते और जब राजा इन तीनो से पूंछ तो ये बोलते की मुझे तो ये सब पता है।उसका कारण था उनकी स्मरण शक्ति ।एक दिन एक नाई आया और राजा के दरबार का घंटा बजाया कहाँ मेरे एक बात है जो इन तीनो को नही मालूम और न ही इन्हें याद होगी। सम्मान के साथ राजा के सामने उसे लाया गया और बोलो बताओ अपनी बात या वो घटाना जो हमारी इन तीनो विध्दामानो को याद नही और न ही मालूम है।
उस व्यक्ति से बड़े ही सामन भाव से कहाँ हे राजन इन तीनो विध्दामान के पूर्वजों से हमारे पूर्वजों को इनके सेवा करते थे जिसके पैसे उन्होंने तब नही दिए थे और कहां था कि मेरे पुत्र आपके पुत्र को ये राशि दे देंगे । इसलिए राजन आज मुझे पैसे की जरूरत है तो आप इन लोगो से पूछ लो कि इन लोगो को पता है ना या नही।
अब विध्दमानो के समाने बहुत बड़ी दुविधा उत्पन्न हो गई। यदि वो हां कहते है तो उन्हें नाई को पैसे देने पड़ेंगे, यदि कहते है कि नही पता तो उसकी शादी राजकुमारी के साथ हो जाएगी। कुल मिलाकर देखेंगे तो बहुत बुरे वो फस गए ना ।अब इंसान क्या सोचता है कि मैं क्यो । इसलिए राजा को बोल देते है तीनो की हे राजन हम लोगो को नही पता और नाई की शादी रककुमारी से हो जाती है । इसी तरह से आज कल के बहुत विध्दामान लोग है जो कही पर भी अपनी टांग को फसा देते है। क्या ये सही है ? या फिर अन्य सभी लोगो की भावनाओ को ध्यान में रखना चाहिए । यदि कोई रचना आपने पढ़ी तो क्या अन्य लोगो ने पढ़ी या नही पढ़ी ।सभी बातों को समझना चाहिए । और किसी की भी रचना पर बिना सोचे समझे कोई भी कमेंट नही करना चाहिए यदि पढ़ी है तो कोई भी कमेंट मत करो न। एक लेखक किस तरह से रचनाएं लिखता है । वो ही समझ सकता है ? आपने क्या किया ? उसकी सारी मेहनत पर अपना … देकर उसका सम्पट सुआ कर दिया ।
हमे हर किसी की भावनाओ को समझना चाहिए और उसकी कद्र करना चाहिए । मेरा लेख किस व्यक्ति विशेष पर नही है । इसे समझे और फिर अपनी राय को दर्शय जी।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
Post Views:
420