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दग्ध हृदय से विचलित होकर एक ऐसी राग सुनाता हूँ,
शहिदों की शहादत को मैं शत् शत् शीश नवाता हूँ|
वीरप्रसूता धरा सोनियासर का गुणगान हमेशा गाता हूँ,
कलम से अंगार उगलता निज “राही”नाम कहलाता हूँ||
पुलवामा का घाव भरा नही फिर दुष्टों ने उसे कुरेदा हैं,
शांतिप्रिय राष्ट्र के हृदय को फिर से छेदा हैं|
हे युवाओं!अब वो वक्त आ गया है,शस्त्रों का संधान करो,
देश मांग रहा कुर्बानी सब कुछ फिर बलिदान करो|
जब तक दुष्टों को न मिटा दो, अमन चैन का त्याग करो,
दुष्टों का विनाश कर फिर से राष्ट्र का जग में नाम करो||
मां भारती के आँचल से कब तक बहती रहेगी ये रक्त की धारा?
कब तक सहते रहेंगे दुष्टों के दुष्कृत्यों को,आखिर कब तक?
हमारी इस शांति को दुष्टों ने फिर से भंग कर डाला हैं|
फिर से सैनिकों के जीवन को छल से छिना हैं ,
आज एक कवि की कलम फिर से आह्वान करती हैं,
‘हे युवाओं! शस्त्र उठाओ और दुश्मनों का संहार करो|
अातंकी पैडो़ की जड़ में एक ऐसा वार करो,
नामोनिशान मिटा दो उन आतंकी पनाहगारों का|
और बता दो उन कुत्तों को अगर वजूद अपना मिटाना हैं,
तो इन्हें तो हम मिटा चुके, ओर आतंकी तैयार करों||
अरे कायरों! कब तक छुपकर वार करोगे,
कब तक उजाड़ोगे निर्दोष बहनों का सिंधुर?
हिम्मत है तो प्रत्यक्ष आकर रण करो,
वर्ना जिस दिन भारत के सपूतो ने ठान लिया
उस दिन मिटा देंगे तुम्हारी हस्ती ओर तुम्हारे बापों कों|
फिर तुम्हारी पीढीयां भी याद करेगी तुम्हारे पापों को||
#शिव गल्ड़वा “राही”
परिचय~
नाम~शिवरतन गल्ड़वा
साहित्यक नाम~राही
जन्म स्थान~सोनियासर,श्री डूंगरगढ, बीकानेर (राज.)
वर्तमान पता-बीकानेर(राजस्थान)
शिक्षा ~बी. एड, एम. ए(हिन्दी)
कार्य क्षेत्र ~व्याख्याता हिन्दी
विधा~कविता,निबंध लेखन
प्रकाशन~
सम्मान~कवि नाम से अभिहित एक सम्मान हैं |
लेखन का उद्देश्य ~मातृभाषा प्रसार व हिन्दी काव्य जाग्रति का प्रचार
मौलिक रचना~किसान का दर्द,अंतर्द्वन्द्व व अन्य
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