0
0
Read Time34 Second
कुछ के लिए मै खास लिखता हूँ
कुछ के लिए बकबास लिखता हूँ ।
हाँ सच ही कहा है जनाब आपने
खो कर मैं होशोहवास लिखता हूँ ।
भला कैसे हो मेरी शायरी अदब में
हो कर जो मै बदहवास लिखता हूँ ।
उतर आती है कागज पे आँखों से
सच को मैं बे-लिबास लिखता हूँ ।
जमाना ज़रूर ज़ुल्म ढायेगा मुझ पे
समंदर के हिस्से में प्यास लिखता हूँ ।
#अजय प्रसादनालंदा(बिहार )
Post Views:
605