रुठे चेहरे पर बिखरी है उदासी।
दूर कहीं हंसी उड़ी है हवा-सी।।
तन्हाई ने घेरा है चारों तरफ से।
अन्धेरा-सा बिखरा है उम्र दराज से।।
खुशहाल ज़िंदगी पर विराम है उदासी।
न है खुशी की इक झलक जरा-सी।।
सुनहरी किरणों से अब रहा न कोई वास्ता।
उदासी ने रोका है हर तरफ़ से रास्ता।।
न है जिंदगी में कोई रिश्ता खुशी का।
हर पहर रहता है मंजर उदासी का।।
खुशी-ग़म,ज़िंदगी के अनेक रुप हैं।
उदासी भी इक रूप है ज़िंदगी का।।
ज़िंदगी है न रुकी है, न रुकेगी सदा।
चलता रहेगा सिक्का यूँ ही वक्त का।।
ज़िंदगी उदास है,खुशहाल भी होगी।
आज वीरान,तो कल महफ़िल भी होगी।।
है दुखों की शाम,सुख की सुबह भी होगी।
घनेरी रात है,तो उजियाली पूनम भी होगी।।
#तृप्ति तोमर
परिचय : भोपाल निवासी तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। मध्य प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है।
बहुत बढ़िया
Very good