मचलती तमन्नाओं ने

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rupesh jain

मचलती तमन्नाओं ने आज़माया भी होगा

बदलती रुत में ये अक्स शरमाया भी होगा

पलट के मिलेंगे अब भी रूठ जाने के बाद

लड़ते रहे पर प्यार कहीं छुपाया भी होगा

अंजाम-ए-वफ़ा हसीं हो यही दुआ माँगी थी

इन जज़्बातों ने एहसास जगाया भी होगा

सोचना बेकार जाता रहा बेवजह के शोर में

तुम आये हो तो किसी ने बुलाया भी होगा

किस तरह अब आकर तुम से मिल जाऊँ

तुझे हाल-ए-दिल किसी ने बताया भी होगा

छुप छुप के सबसे, पढ़ता है कोई बार बार

किताब में बारहा मेरा नाम आया भी होगा

ये उलझी हुई कहानी यूँ बोल न पड़े ‘राहत’

उसने मेरी याद का दिया जलाया भी होगा

#डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।