तुम्हारी नजरों में मैं अब
बहुत चालाक हो गई हूं
क्योंकि तुम्हारे झूठे आश्वासन और सच्चे वादे के बीच का
फर्क जो समझने लगी हूं
तुम्हारे झूंठे वादे
चांद को मेरे जूडे में नही सजा सकते
और न ही मेरी माँग सजा सकते है सितारों से
अब जानती हूं मैं
अब तुम्हारे दिखाऐ वो सपने
नहीं दिखा सकते मुझे
सतरंगी इन्द्रधनुष
अब तुम्हारी नजरों में
मैं उच्छृंखल हो गयी हूं,,
क्योंकि अब नही सजा सकते
तुम मुझे किसी खिलौने की तरह
और न ही तोड़ पाओगे मुझे
अपने अंदर सजाकर ,,
मैने देख लिया है तुम्हारे अंदर के अँधेरों को , ,
टटोल लिया है तुम्हारी कमजोरी को,
,,और जान चुकी हूं इस सच को भी
कि तुमसे कही अधिक समर्थ हूं “मैं”
अब जान चुकी हूं ‘ मैं ‘
अपनी सार्थकता को
और अपने निजत्व को भी ,
जान लिया है मैने
अपने शब्दों
और तुम्हारे अर्थों को भी ,
आखिर तुमने ही तो निर्धारित की थी मेरी जगह
तुम्हारे चरणों में , ,
जानती हूं कितना दुःसह होगा
तुम्हारे लिये मुझे अपने समकक्ष देखना,,
जानती हूं मैं
कि मेरा ये बदला रुप अब तुम्हे बर्दास्त नही होता
मेरा ये वस्त्रालंकार सुसज्जित रुप
भला कहाँ अच्छा लगेगा तुम्हे
तुम्हारे हाथों को तो
आदत पड़ चुकी है
सदियों से चीर हरण की
बार-बार अग्नि -परीक्षा देकर भी
नही हटा सकी ‘मैं ‘ मेरी पवित्रता पर लगा प्रश्नचिन्ह ??
तुम्हारे अपराध की
सजा मैने
पाषाण बनकर झेली
युगों -युगों तक ,,,
मैं ‘ तुम्हे खटकती हूं
क्योंकि अब मैं तुम्हारे
खूँटे से बँधी मेमनी
जो नही रही
सीख लिया है मैने मेरे अधिकारों को पाना , ,
पाना सीख गयी हूं अब ‘मैं’
मेरे हिस्से की धूप ,
बरसातें और ठंडी हवाऐं भी
मेरी खुशी अब तुम्हारे मूड की मोहताज नही , ,े
मैने भी अब सीख लिया है
खुल कर हँसना।।
खुल कर रोना।।
नही बन कर रहना अब मुझे
तुम्हारे क्रोध की शिकार खंडित मूर्ति ।।
नहीं देखनी मुझे
ये दुनिया अब
तुम्हारे चश्मे से ,,,
मैने भी अब सीख लिया है
पुरुषों की दुनिया में जीना . …..!.
#मीनाक्षी वशिष्ठ
नाम->मीनाक्षी वशिष्ठजन्म स्थान ->भरतपुर (राजस्थान )वर्तमान निवासी टूंडला (फिरोजाबाद)शिक्षा->बी.ए,एम.ए(अर्थशास्त्र) बी.एडविधा-गद्य ,गीत ,प्रयोगवादी कविता आदि ।